Lord Ganesha Story: आप भी चाहते हैं पृथ्वी की परिक्रमा करना, पढ़ें गणेश जी की सुंदर कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Nov, 2024 10:34 AM

lord ganesha story

Ganesh Ji Ki Katha: पाश्चात्य देशों का अनुकरण करते हुए भारत वर्ष में भी मदर्स डे और फादर्स डे (मातृ-पितृ दिवस) अलग-अलग मनाने की परंपरा शुरू हो गई है, किन्तु भारतीय मनीषा माता और पिता दोनों को एक साथ पूजने की बात करती है

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ganesh Ji Ki Katha: पाश्चात्य देशों का अनुकरण करते हुए भारत वर्ष में भी मदर्स डे और फादर्स डे (मातृ-पितृ दिवस) अलग-अलग मनाने की परंपरा शुरू हो गई है, किन्तु भारतीय मनीषा माता और पिता दोनों को एक साथ पूजने की बात करती है :

PunjabKesari Ganesh Ji Ki Katha

सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमय: पिता। मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत।।
अर्थात माता का स्थान सभी तीर्थों से ऊपर होता है और पिता का स्थान सभी देवताओं से ऊपर होता है, इसलिए हर मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करे और सदा उनका आदर-सत्कार करे।

मातरं पितरं चैव यस्तु कुर्यात् प्रदक्षिणम्। प्रदक्षिणीकृता तेन सप्तद्वीपा वसुंधरा॥
अर्थात् जो व्यक्ति माता-पिता की प्रदक्षिणा करता है, उसके द्वारा सातों द्वीपों से युक्त पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है।

शास्त्रों में देव ऋण, ऋषि ऋण के साथ-साथ मातृ-पितृ ऋण उतारने की भी बात कही गई है। मातृ-पितृ ऋण उतारने के लिए पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध के साथ-साथ अपनी संतानों में धार्मिक संस्कार डालने की बात कही गई है। माता-पिता अपनी संतान के लिए जो कष्ट सहन करते हैं, उसके बदले पुत्र यदि सौ वर्षों तक माता-पिता की सेवा करे, तब भी वह इनसे उऋण नहीं हो सकता।

कहते हैं कि एक बार देवताओं में इस बात की प्रतियोगिता हुई कि सबसे पहले किस देवता की पूजा होगी। इसका निर्णय इस शर्त पर होना तय हुआ कि जो पृथ्वी की परिक्रमा करके सबसे पहले आएगा, उसे ही प्रथम पूज्य माना जाएगा।

PunjabKesari Ganesh Ji Ki Katha

सभी देवता अपने-अपने वाहनों पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा करने चले गए। गणेश जी अपनी जगह पर खड़े रहे और सोचने लगे कि वह अपने वाहन मूषक पर सवार होकर पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाकर सबसे पहले कैसे आ सकते हैं। उसी समय उन्हें एक उपाय सूझा। वह अपने पिता शिव जी और माता पार्वती के पास गए और उनकी सात बार परिक्रमा करके वापस अपनी जगह पर आकर खड़े हो गए। कुछ समय बाद अन्य देवता पृथ्वी का पूरा चक्कर लगाकर वापस पहुंचे और स्वयं को विजेता कहने लगे।

तब ब्रह्मा जी ने गणेश जी से प्रश्न किया, ‘‘गणेश! तुम पृथ्वी की परिक्रमा करने क्यों नहीं गए?’’

गणेश जी ने उत्तर दिया, ‘‘माता-पिता में तो पूरा संसार बसा है? चाहे मैं पृथ्वी की परिक्रमा करूं या अपने माता-पिता की, एक ही बात है।’’

यह सुनकर ब्रह्मा बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया। शास्त्रों में माता-पिता, आचार्य और अतिथि चारों को ईश्वर के समान आदर देने की बात कही गई है-
मातृ देवो भव:, पितृ देवो भव:। आचार्य देवो भव:, अतिथि देवो भव:।।

इस दुनिया में जितने भी नाते हैं, सब स्वार्थ वाले हैं, नि:स्वार्थ प्रेम केवल माता-पिता ही करते हैं। आए दिन अखबारों में घरों में अकेले रहने वाले वृद्धजनों की मृत्यु के समाचार छपते हैं, बेटे-बेटियां भारत या विदेश के किसी शहर में होते हैं। ऐसे शवों का अंतिम संस्कार सरकारी तौर पर पुलिस के जिम्मे होता है।

नई पीढ़ी सोशल मीडिया पर माता-पिता के प्रति गहरे प्रेम की अभिव्यक्ति दिखाती है लेकिन दिन-ब-दिन वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। पूजा स्थलों/इबादतगाहों पर लगने वाली भीड़ को देख कर किसी शायर ने ठीक ही कहा है-
मंदिर की मूर्तियों से दुआ मांगने वालो, माता-पिता से बढ़कर कोई भगवान नहीं है ! 

PunjabKesari Ganesh Ji Ki Kath

 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!