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ये है देश का इकलौता मकरध्वज मंदिर, जानें इसकी खासियत

Edited By Jyoti,Updated: 17 Aug, 2019 02:31 PM

lord hanuman sons makardhwaj temple in gwalior

रामायण हिंदू धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रंथ है। समस्त धार्मिक ग्रंथों में से इसे प्रमुख माना जाता है। इसके मुख्य पात्रों के बारे में तो सब जानते हैं।

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रामायण हिंदू धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रंथ है। समस्त धार्मिक ग्रंथों में से इसे प्रमुख माना जाता है। इसके मुख्य पात्रों के बारे में तो सब जानते हैं। जैसे श्री राम, लक्ष्मण, देवी सीता, हनुमान जी, रावण, विभीषण आदि। इन सभी के तो हमारे देश में कई मंदिर आदि भी हैं जिसकी मदद से हम इनके बारे में जान पाते हैं। मगर आपको बता दें आज भी ऐसे कई लोग हैं जो रामायण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले पात्रों से अंजान है। जी हां, हम जानते हैं कि आप सोच रहे होंगे कि हम ऐसे किस पात्र की बात कर रहे हैं। तो बता दें हम बात कर रहे हनुमान पुत्र मकरध्वज की।

PunjabKesari, Makardhwaj Temple In Gwalior

बता दें हनुमान जी के इस पुत्र के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार जब हनुमान जी सीता की खोज में लंका पहुंचे तो मेघनाद द्वारा पकड़े जाने पर उन्हें रावण के दरबार में प्रस्तुत किया गया। तब रावण ने उनकी पूंछ में आग लगवा दी थी तो हनुमान ने जलती हुई पूंछ से लंका जला दी। जलती हुई पूंछ की वजह से हनुमान जी को तीव्र वेदना हो रही थी जिसे शांत करने के लिए वे समुद्र के जल से अपनी पूंछ की अग्नि को शांत करने पहुंचे। उस समय उनके पसीने की एक बूंद पानी में टपकी जिसे एक मछली ने पी लिया था। उसी पसीने की बूंद से वह मछली गर्भवती हो गई और उससे उसे एक पुत्र उत्पन्न हुआ। जिसका नाम पड़ा मकरध्वज।
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आज हम आपको ग्वालियर में स्थित इनके ही इकलौते मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जो देश का इकलौता मकरध्वज मंदिर है। बता दें यह प्राचीन मंदिर ग्वालियर के करहिया क्षेत्र के जंगलों में स्थित है जो प्राकृतिक गुफाओं से परिपूर्ण है। लोक मान्यता के अनुसार यहां वह गुफा भी है जो रामायण काल में राम और रावण में हुए युद्ध की गाथा सुनाती हैं। आज भी मंदिर परिसर में अनवरत जल की धारा बहती है जो एक कुंड में पहुंचती हैं। यहां प्राचीन सात मंजिला इमारत बनी हुई है जिसे सतखंडा नाम से जाना जाता है। लगभग 500 फुट की ऊंचाई पर पहाड़ के बीचो-बीच एक विशाल गुफा है जिसमें एक बाबा निवास करते हैं। इस गुफा के आसपास ऐसी कई प्राचीन धरोहर देखी जा सकती हैं। मान्यता है कि इस पहाड़ों के बीच से निकलने वाली जलधारा जो एक गोमुख से निकलती है वो प्राकृतिक वनस्पतियों से  होकर आती है। माना जाता है इस जल को पीने से बच्चों एवं वृद्धों के भीष्ण से भीष्ण रोग खत्म हो जाते हैं।

इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार जब रामायण काल में श्रीराम और रावण के बीच भारी महासंग्राम छिड़ा हुआ था उस दौरान श्रीराम की सेना का पराक्रम अद्भुत था और रावण की सेना को पराजय का सामना करना पड़ रहा था। जब रावण की सेना के सभी योद्धा एक-एक करके महासंग्राम में मारे जाने लगे तभी उसे अपने भाई अहिरावण की याद आई और उसने उसको श्री राम और उनके भ्राता लक्ष्मण को अपहरण कर पाताल लोक ले जाने का आदेश दिया था। जिसके बाद जब अहिरावण श्रीराम लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक जाने के लिए एकमात्र रास्ता जो भितरवार अनुभाग के करहिया के जंगल में स्थित पहाड़ों के बीच से होकर पाताल लोक गया था और एक गुफा में उन्हें कैद कर दिया। 
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इस दौरान मकरध्वज को पहरेदार बनाकर गुफा के द्वार पर खड़ा कर गया तब पवन पुत्र हनुमान जी राम लक्ष्मण का पता लगाते हुए इस गुफा के द्वार पर पहुंचे तो वहां मकरध्वज नामक योद्धा द्वार पर खड़ा देखा। जब हनुमान जी ने पाताल लोक जाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए तो दोनों में भीषण युद्ध हुआ। जब दोनों में से कोई एक दूसरे को कोई परास्त नहीं कर सका तब हनुमान जी ने कहा हे वानर राज!, तुम कौन हो। 

तब मकरध्वज ने अपनी कहानी सुनाई और बताया कि मैं हनुमान जी का पुत्र हूं जब लंका में हनुमान जी आग लगाकर समुद्र में अपनी पूंछ की आग बुझाने के लिए पहुंचे थे उसी समय उनके पसीने की एक बूंद को मछली ने निगल लिया था उसी से मेरा जन्म हुआ है तब हनुमान जी ने कहा कि मैं ही तुम्हारा पिता हूं। 

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तब मकरध्वज ने कहा कि मैं धर्म के बंधन में बंधा हुआ हूं इसलिए आप मुझे जंजीरों से बांधकर पाताल लोक जा सकते हैं तब हनुमान जी मकरध्वज को जंजीरों से बांधकर पाताल लोक गए और अहिरावण की भुजा उखाड़कर उसे मारकर श्री राम लक्ष्मण को अहिरावण के चंगुल से बचा लिया। बाद में मकरध्वज को जंजीरों से मुक्त करते हुए उसे पाताल लोक का राजा घोषित कर दिया। कालांतर में यहां मकरध्वज का मंदिर बना दिया गया जो आज भी बना हुआ है।    

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