Edited By Jyoti,Updated: 20 Dec, 2020 06:55 PM
जैेसा कि आप सब जानते हैं कि आज देशभर के कई हिस्सों में चंपा षष्ठी का पर्व मनाया जा रहा है। इसी बीच हमने आपको बताया कि इस दिन का क्या महत्व है।
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जैेसा कि आप सब जानते हैं कि आज देशभर के कई हिस्सों में चंपा षष्ठी का पर्व मनाया जा रहा है। इसी बीच हमने आपको बताया कि इस दिन का क्या महत्व है। इसी बीच अब हम आपको बताने वाले हैं भगवान कार्तिकेय के जन्म की गाथा। जी हां, बहुत कम लोग हैं जो जानते हैं कि भगवान कार्तिकेय का जन्म कैसे हुआ था।
धार्मिक कथाओं के अनुसार कुमार कार्तिकेय जी के जन्म की गाथा काफी अलग है। इसमें जो वर्णन किया गया है कि उसके मुताबिक देवलोक में समस्त प्रकार के असुरों ने आंतक मचा रखा था। सभी देवता धीरे-धीरे इन असुरों से पराजय होने लगे। लगातार असुरों का आंतक बढ़ता देख समस्य देवता ब्रह्मा जी के समक्ष गए।
तब भगवान ब्रह्मा जी ने देवताओं को भगवान शिव के पुत्र द्वारा इन असुरों के नाश की बात कही। लेकिन उस काल चक्र में माता सती के वियोग में भगवान शिव समाधि में लीन थे। जिसके बाद इंद्र ने सभी देवताओं के साथ मिलकर भगवान शिव को समाधि से जगाने के लिए उपाय सोचा। और भगवान कामदेव की मदद ली। कामदेव भगवान भोलेनाथ की तपस्या को भंग तो कर दिया मगर उन्हें भस्म होना पढ़े। इसके उपरांत भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया और दोनों देवदारु वन में एकांतवास के लिए चले गए। ऐसा कहा जाता है उस वक्त भगवान शिव और माता पार्वती एक गुफा में निवास कर रहे थे।
बताया जाता है कि तब वहां गुफा में एक कबूतर भी चला गया और उसने भगवान शिव के वीर्य का पान कर लिया। लेकिन परंतु वह इसे सहन नहीं कर पाया और भागीरथी को सौंप दिया। गंगा की लहरों के कारण वीर्य 6 भागों में विभक्त हो गया और इससे 6 बालकों का जन्म हुआ। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह 6 बालक मिलकर 6 सिर वाले बालक बन गए, जो आगे चलकर कार्तिकेय कहलाए।
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