Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Jun, 2024 07:27 AM
हिमाचल प्रदेश के जिला मुख्यालय नाहन से लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माहामाई त्रिपुर बाला सुन्दरी का लगभग साढ़े 300 वर्ष पुराना मंदिर तीर्थ स्थल एवं पर्यटन की दृष्टि से विशेष स्थान रखता है।
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Maa bala sundari temple trilokpur himachal pradesh: हिमाचल प्रदेश के जिला मुख्यालय नाहन से लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माहामाई त्रिपुर बाला सुन्दरी का लगभग साढ़े 300 वर्ष पुराना मंदिर तीर्थ स्थल एवं पर्यटन की दृष्टि से विशेष स्थान रखता है। यहां पर चैत्र और अश्वनी मास के नवरात्रों में लगने वाले मेले की मुख्य विशेषता है कि किसी प्रकार की शोभा यात्रा या जुलूस नहीं निकाला जाता।
श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस पावन स्थली पर माता साक्षात रूप में विराजमान हैं और यहां पर की गई मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
जनश्रुति के अनुसार महामाई बाला सुन्दरी उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर में मुज्जफरनगर के देवबन्द नामक स्थान से नमक की बोरी में त्रिलोकपुर आई थीं।
कहा जाता है कि लाला रामदास जो सदियों पहले त्रिलोकपुर में नमक का व्यापार करते थे, उनके नमक की बोरी में माता उनके साथ यहां आई थीं।
लाला की दुकान त्रिलोकपुर में पीपल के वृक्ष के नीचे हुआ करती थी। उसने देवबन्द से लाया तमाम नमक दुकान में डाल दिया और बेचते गए मगर नमक समाप्त होने में नहीं आया।
लाला जी उस पीपल के वृक्ष को हर रोज सुबह जल दिया करते थे और पूजा करते थे। उन्होंने नमक बेचकर बहुत पैसा कमाया और चिन्ता में पढ़ गए कि नमक समाप्त क्यों नहीं हो रहा।
माता बाला सुन्दरी ने प्रसन्न होकर रात्रि को लाला जी के सपने में आकर दर्शन दिए और बोलीं, ‘‘भक्त मैं तुम्हारे भक्तिभाव से अति प्रसन्न हूं। मैं यहां पीपल के वृक्ष के नीचे पिण्डी रूप में स्थापित हो गई हूं और तुम यहां पर मेरा भवन बनाओ।’’
लाला जी को अब भवन निर्माण की चिन्ता सताने लगी। उसने फिर माता की अराधना की और आह्वान किया कि इतने बड़े भवन निर्माण के लिए मेरे पास सुविधाओं व धन का अभाव है। आप सिरमौर के महाराजा को भवन निर्माण का आदेश दें।
माता ने अपने भक्त की पुकार सुन ली और उस समय के सिरमौर के राजा प्रदीप प्रकाश को सोते समय स्वप्न में दर्शन देकर भवन निर्माण का आदेश दिया। महाराजा ने तुरन्त जयपुर से कारीगरों को बुलाकर भवन निर्माण का कार्य आरंभ करवाया जो सन् 1630 में पूरा हुआ।