Jwala ji: बिना तेल-बाती के जलती हैं अखंड ज्योतियां, अकबर हुआ था नतमस्तक

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jan, 2021 11:59 PM

maa jwala devi

ज्वाला माता की शक्ति संबंधी चमत्कारी प्रसंग जो बड़ा ही रोचक तथा सच कहा जाता है वह प्रसंग है माता के प्रिय भक्त ध्यानू का, जिसके मुताबिक भक्त ध्यानू हर वर्ष माता की पूजा करने यहां आया करता था।

Jwala Ji Mandir Kangra Himachal Pradesh: ज्वाला माता की शक्ति संबंधी चमत्कारी प्रसंग जो बड़ा ही रोचक तथा सच कहा जाता है वह प्रसंग है माता के प्रिय भक्त ध्यानू का, जिसके मुताबिक भक्त ध्यानू हर वर्ष माता की पूजा करने यहां आया करता था। एक बार रास्ते में उसे अकबर बादशाह मिला और उसने पूछा तो भक्त ध्यानू ने कहा माता ज्वाला के दर्शन करने जा रहा हूं। अकबर ने कहा क्यों तो ध्यानू ने कहा वहां सबकी मुरादें पूर्ण होती हैं। अखंड ज्योतियां बिना तेल-बाती के जलती हैं।

PunjabKesari  Jawala ji

What is physical manifestation of Jwala: अकबर ने कहा यह सब झूूठ है, मैं चल कर देखता हूं। वहां जाकर ज्योतियां देखकर कहा इन्हें तो मैं अभी बुझा देता हूं और लोहे के तवे से उन्हें ढंकने का आदेश दिया मगर ज्योतियां लोहे का तवा फाड़ कर बाहर आ गईं तो अकबर ने ऊपर से नहर चलाने का आदेश दिया। चारों ओर पानी बहने लगा, मगर ज्योतियां जलती रहीं तथा रोशनी और भी तेज हो गई।

PunjabKesari  Jawala ji

What is Jwala Ji: ध्यानू ने कहा कि माता तो मुर्दे भी जिंदा कर देती है तो बादशाह एक बार फिर क्रोध से भर गया तथा ध्यानू के घोड़े का शीश काट डाला और कहा कि इसे तेरी माता से जिंदा करवा तो मैं भी शक्ति  को मान जाऊंगा या फिर तेरा भी शीश घोड़े की तरह काट दूंगा।

PunjabKesari  Jawala ji

What is the significance of Jwala Devi Temple: ध्यानू ने माता की स्तुति की और रात भर जागरण करके कहा कि यदि घोड़ा जिंदा न हुआ तो मैं माता तेरे चरणों में मर जाऊंगा और वह अपनी ही तलवार से अपना शीश काट कर ज्योति के आगे रखने लगा तो ज्वाला माता ने प्रकट होकर ध्यानू का सिर धड़ से मिला दिया और घोड़ा भी जिंदा कर दिया। अकबर का शीश झुका, श्रद्धा उत्पन्न हुई।

PunjabKesari  Jawala ji

What is the significance of Jwala Devi Temple : सवा मन सोने का छत्र : अकबर सवा मन सोने का छत्र लेकर माता के चरणों में आया मगर उसके मन में अहंकार हो गया कि माता एक मैं ही तेरे चरणों में शाही भक्त आया हूं जो सवा मन सोने का छत्र लाया हूं। न ऐसा पहले कोई आया होगा न आगे आएगा। अहंकार में डूबा अकबर ज्यों ही मंदिर में दाखिल हुआ तो अकबर के कंधे पर रखा हुआ छत्र एक ओर जा गिरा तथा अष्टधातु का हो गया।

PunjabKesari  Jawala ji

Jawala ji: एक बार उसने फिर क्षमा मांगी तो आवाज आई कि तेरे गुनाह तभी क्षमा होंगे जब तू आगे से किसी भक्त की परीक्षा न लेने का प्रण लेगा। अकबर ने परीक्षा न लेने का प्रण लेते हुए क्षमा मांगी, तो माता ने साक्षात दर्शन दिए। आज भी यह अष्ट धातु का बना छत्र मंदिर के एक ओर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ रखा हुआ है।

PunjabKesari  Jawala ji

Jwala ji temple darshan: 24 अवतारों के दर्शन : भक्तजन यहां भवन, गोरख टिबी, वीर कुंड, 24 अवतारों की मूर्तियां, राधा कृष्ण मंदिर, शिव शक्ति लाल शिवालय, काल भैरो मंदिर, सिद्धि नागार्जुन, सीता राम मंदिर, कपिल स्थल, तारा देवी मंदिर तथा बहुत से अन्य मंदिरों के भी दर्शन करते हैं।

PunjabKesari  Jawala ji

 

 

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!