Maa Kali Story: जब भगवान शिव ने महाकाली को बनाया अपनी मां...

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Jan, 2023 10:45 AM

maa kali story

जगत जननी मां अंबा ने राक्षसों का संहार करने के लिए मां काली का विकराल रूप धारण किया था। उनके इस रूप के पीछे शास्त्रों में बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं और पुराणों में भी इनका व्याख्यान मिलता है।

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The story of Maa Kali मां काली के उत्पन्न होने की कथा : जगत जननी मां अंबा ने राक्षसों का संहार करने के लिए मां काली का विकराल रूप धारण किया था। उनके इस रूप के पीछे शास्त्रों में बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं और पुराणों में भी इनका व्याख्यान मिलता है। आइए जानें मां के भयानक और ममतामयी स्वरुप की कथा-

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दारुक नामक राक्षस ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की। उससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे वरदान दिया की उसकी मृत्यु केवल महिला के हाथों से होगी। अन्य कोई भी उसे मार नहीं पाएगा। वो राक्षस ब्रह्मा जी के वरदान का गलत फायदा उठाने लगा और उसने सारे ब्राह्मणों, संतों और देवताओं का जीना मुश्किल कर दिया। उसने अपनी शक्ति से सारे अनुष्ठान बंद करवा दिए और स्वर्ग पर अपना राज जमा कर बैठ गया। सारे देवता उस से लड़ने गए पर निराश होकर वापिस लौट आए। तब ब्रह्मा जी ने बताया ये राक्षस सिर्फ किसी स्त्री के हाथों ही मारा जाएगा।

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सारे देवता मिलकर भगवान शिव के पास मदद की गुहार लगाने पहुंचे। दारुक राक्षस के आंतक के बारे में बताया। तब इस समस्या के समाधान के लिए भोलेनाथ ने जगत जननी मां पार्वती की तरफ देखा और कहा,'' हे कल्याणी ! जगत के हित के लिए और उस दारुक दैत्य के लिए मैं तुमसे प्रार्थना करता हूं।''

इतना सुनकर माता पार्वती मुस्कुराई और अपना एक अंश भगवान भोलेनाथ में प्रवेश करवा दिया। मां भगवती का वो अंश भगवान शिव के गले से अवतरित हुआ। भोलेनाथ ने तभी अपना तीसरा नेत्र खोला और उनके नेत्र के द्वार से मां ने भयंकर काली का विकराल रूप धारण कर लिया। उनके इस रूप को देखकर देवता व राक्षस वहां से भागने लगे। उनका रूप इतना भयंकर था कि कोई भी उनके सामने टिक न पाया।

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मां काली के सिर्फ हुंकार से ही सारे दैत्यों का नाश हो गया। सारे असुर जलकर भस्म हो गए लेकिन तब भी उनका गुस्सा शांत न हुआ और उनके क्रोध की अग्नि से सारे लोग जलने लगे। देवताओं ने पुन: भोलेनाथ से मदद मांगी। तब महादेव ने मां काली के गुस्से को शांत करने के लिए एक बालक का रूप धारण किया। उनके इस रूप को बटुक भैरव भी कहा जाता है और उस बालक के रूप में भोलेनाथ जोर-जोर से रोने लगे। उनके रोने की आवाज मां काली के कानों में पड़ी। माता ने उस प्यारे से बालक को अपने गले से लगा लिया और तभी माता वापिस से अपने सौम्य रूप में आ गई।  

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