Chaitra navratri: इस विधि से करें मां कालरात्रि की पूजा और पढ़े व्रत कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Apr, 2024 11:51 AM

आज यानी 15 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है और इस दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है। मां कालरात्रि को महायोगेश्वरी, महायोगिनी और शुभंकरी कहा जाता है। मां कालरात्रि

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Chaitra navratri 2024: आज यानी 15 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है और इस दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है। मां कालरात्रि को महायोगेश्वरी, महायोगिनी और शुभंकरी कहा जाता है। मां कालरात्रि का शरीर काला है। मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं। माता के गले में माला बिजली की तरह चमकती रहती है। माता कालरात्रि के 4 हाथ हैं। मां के एक हाथ में खड्ग, एक में लौह शस्त्र, एक हाथ में वरमुद्रा और अभय मुद्रा होती है। मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है इसलिए तंत्र-मंत्र के साधक मां कालरात्रि की विशेष पूजा करते हैं। माता की विशेष पूजा रात्रि में होती है। 

शास्त्रों के अनुसार, मां कालरात्रि के मंत्र जाप से दुश्मनों का नाश होता है। अगर आप भी मां कालरात्रि की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो विधि पूर्वक मां कालरात्रि की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय व्रत कथा का पाठ अवश्य करें या कथा को पढ़ें। इस व्रत कथा को पढ़ने मात्र से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। तो आइए जानते हैं मां कालरात्रि माता की पूजन विधि और व्रत कथा क्या है ?

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Fast story of Maa Kalratri मां कालरात्रि की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, तीनों लोकों में राक्षस शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने हाहाकार मचा रखा था। सभी देवता चिंतित थे। सभी देवी-देवता मिलकर भगवान शंकर के पास गए और रक्षा की प्रार्थना की। तब महादेव ने मां पार्वती से असुरों का अंत कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा। इसके बाद माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। माता के सामने असली चुनौती राक्षस रक्तबीज ने पेश की। जैसे ही मां दुर्गा रक्तबीज को मारती और उसका खून धरती पर गिरता। उससे लाखों रक्तबीज पैदा हो जाते। इससे माता क्रोधित हो गई और उनका वर्ण श्यामला हो गया। इसी स्वरूप से मां कालरात्रि का प्राकट्य हुआ। मां कालरात्रि रक्तबीज का वध करती और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को धरती पर गिरने से पहले ही पी जातीं। इस तरह से माता ने सभी राक्षसों का वध किया और धरती की रक्षा की।

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How to worship Maa Kalratri on the seventh Navratri of Maa मां की सातवीं नवरात्रि पर मां कालरात्रि की पूजन कैसे करें
मां कालरात्रि की पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है और नेगेटिव शक्तियों से छुटकारा मिलता है। माता अपने भक्तों को आशीष प्रदान करती हैं और शत्रुओं का संहार करती हैं। परिवार में सुख-शांति आती है।

मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी जागना चाहिए। स्नान करके साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। मान्यता है कि माता को लाल रंग पसंद है। इसलिए मां को लाल रंग का वस्त्र अर्पित करना चाहिए। मां को स्नान कराने के बाद फूल चढ़ाना चाहिए। मां को मिठाई, पंचमेवा और 5 प्रकार का फल अर्पित करना चाहिए। माता कालरात्रि को रोली-कुमकुम लगाना चाहिए। 

मां कालरात्रि का भोग- मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजें पसंद हैं इसलिए नवरात्रि के सातवें दिन गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है और माता को प्रसन्न किया जाता है। इससे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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