Maa Kalratri Katha: मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें पूजन व पढ़ें कथा

Edited By Prachi Sharma,Updated: 09 Oct, 2024 12:22 PM

नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है। मां कालरात्रि को महायोगीश्वरी, महायोगिनी और शुभंकरी कहा जाता है।

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Maa Kalratri Katha: नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है। मां कालरात्रि को महायोगीश्वरी, महायोगिनी और शुभंकरी कहा जाता है। मां कालरात्रि का शरीर काला है। मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं। माता के गले में माला बिजली की तरह चमकती रहती है। माता कालरात्रि के 4 हाथ हैं। मां के एक हाथ में खड्ग, एक में लौह शस्त्र, एक हाथ में वरमुद्रा और अभय मुद्रा होती है। मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है इसलिए तंत्र-मंत्र के साधक मां कालरात्रि की विशेष पूजा करते हैं। माता की विशेष पूजा रात्रि में होती है ,शास्त्रों के अनुसार मां कालरात्रि के मंत्र जाप से दुश्मनों का नाश होता है ,अगर आप भी मां कालरात्रि की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो विधि पूर्वक मां कालरात्रि की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय व्रत कथा का पाठ अवश्य करें या कथा को सुनें।

Story of fasting of Maa Kalaratri मां कालरात्रि की व्रत कथा- 

पौराणिक कथा के अनुसार, तीनों लोकों में राक्षस शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने हाहाकार मचा रखा था। सभी देवता चिंतित थे। सभी देवी देवता मिलकर भगवान शंकर के पास गए और रक्षा की प्रार्थना की। तब महादेव ने मां पार्वती से असुरों का अंत कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा।इसके बाद माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। माता के सामने असली चुनौती राक्षस रक्तबीज ने पेश की। जैसे ही मां दुर्गा रक्तबीज को मारती और उसका खून धरती पर गिरता। उससे लाखों रक्तबीज पैदा हो जाते। इससे माता क्रोधित हो गईं और उनका वर्ण श्यामल हो गया। इसी स्वरूप से मां कालरात्रि का प्राकट्य हुआ। मां कालरात्रि ने रक्तबीज का वध करती और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को धरती पर गिरने से पहले ही पी जातीं। इस तरह से माता ने सभी राक्षसों का वध किया और धरती की रक्षा की।

मां कालरात्रि का पूजन कैसे करें- 

मां कालरात्रि की पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है और निगेटिव शक्तियों से छुटकारा मिलता है। माता अपने भक्तों को आशीष प्रदान करती हैं और शत्रुओं का संहार करती हैं और परिवार में सुख-शांति आती है। 

मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह जल्द जागना चाहिए। स्नान करके साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। मान्यता है कि माता को लाल रंग पसंद है। इसलिए मां को लाल रंग का वस्त्र अर्पित करना चाहिए। मां को स्नान कराने के बाद फूल चढ़ाना चाहिए। मां को मिठाई, पंच मेवा और 5 प्रकार का फल अर्पित करना चाहिए।  माता कालरात्रि को रोली कुमकुम लगाना चाहिए। मां कालरात्रि को भोग- मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजें पसंद हैं इसलिए नवरात्रि के सातवें दिन गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है और माता को प्रसन्न किया जाता है।  इससे भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है। 

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