Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Mar, 2023 09:02 AM
जिसकी ऊर्जा से पूरा ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ है, उस आदिशक्ति देवी का नाम कुष्मांडा माता है। नवरात्रि के चौथे दिन देवी की साधना करने का विशेष महत्व है। ऐसा वर्णित है कि इस पूरी सृष्टि की उत्पत्ति देवी कुष्मांडा द्वारा की गई है।
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Maa Kushmanda: जिसकी ऊर्जा से पूरा ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ है, उस आदिशक्ति देवी का नाम कुष्मांडा माता है। नवरात्रि के चौथे दिन देवी की साधना करने का विशेष महत्व है। ऐसा वर्णित है कि इस पूरी सृष्टि की उत्पत्ति देवी कुष्मांडा द्वारा की गई है। देवी कुष्मांडा ऊर्जा का परम स्रोत है। इनकी छवि तेज पूर्ण है। आठ भुजाओं वाली कुष्मांडा देवी सर्व सुख देने वाली सभी सिद्धियों ओर निधियों से सम्पूर्ण करने वाली हैं। देवी का वाहन सिंह है। ये समय ब्रह्मांड एक कुम्हड़े के आकार का है। माता के ऊर्जा रूप ने इस पूरे ब्रह्मांड को दीपायमान किया है। देवी को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है। कुम्हड़ा और लौकी ऊर्जा को अपने अंदर संग्रहित करने वाले पूर्णतः सक्षम शाक है। कुम्हड़ा एवं लौकी ऋषि-मुनियों का सबसे सात्विक और प्रिय आहार रहा है। देवी कुष्मांडा का निवास सूर्य के मध्य में माना गया है। देवी की उपासना करने पर जीवन में नए व शुभ बदलाव आते हैं। नई ऊर्जा का संचार होता है, व्यापार में वृद्धि लोगों के बीच लोकप्रियता बढ़ती है।
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देवी कुष्मांडा को नारंगी रंग के वस्त्रों से सुसज्जित करें। स्वयं भी नारंगी वस्त्र धारण करें। नारंगी रंग के आसन पर बैठ साधना करें। देवी को यह रंग अति प्रिय है। ऐसा कर माता की कृपा प्राप्त होती है।
सूर्य नमस्कार अवश्य करें और देवी का सूर्य भगवान में ध्यान करते हुए गेंदे के फूल अर्पित करें। इसके पश्चात धूप, दीप, नैवेद्य सूर्य भगवान को दिखाते हुए गेहूं की मीठी रोटी का भोग लगाएं। ऐसा करने से लोगों के बीच लोकप्रियता बढ़ती है, रिश्तेदारों से सम्बन्ध अच्छे होंगे, सरकारी व पुश्तैनी संपत्ति का लाभ मिलता है।
चौथे नवरात्र को देवी के मंदिर में कुम्हड़ा चढ़ाएं। उसके साथ सात सुपारी को पीले कपड़े में बांध कर माता के चरणों से लगा कर वापस अपने घर ले आएं। वर्ष भर इसे आशीर्वाद के रूप में घर की उत्तर की दिशा में रखें।
नारंगी आसान पर बैठ देवी के बीज मंत्र का उच्चारण करें। देवी की साधना रात्रि के तीसरे पहर में करनी अधिक लाभदायक सिद्ध होती है। गुप्त शक्तियों की प्राप्ति जल्दी होती है।
Maa Kushmanda mantra मां कूष्मांडा मंत्र: ऐं ह्री देव्यै नम:।
Maa kushmanda Bhog: कुष्मांडा माता को मालपुए का भोग लगाएं। केसर चढ़ाएं। साधक की दुख व व्याधियां नष्ट होती हैं। जीवन में अलौकिक अनुभव होते हैं।