Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Oct, 2024 06:58 AM
Shardiya Navratri 2024 4th Day: शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन 06 अक्टूबर (रविवार) को है। इस दिन मां आदिशक्ति के चौथे स्वरुप मां कुष्मांडा की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मां कुष्मांडा की सच्चे मन से आराधना करने से साधक के सभी रोग नष्ट...
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Shardiya Navratri 2024 4th Day: शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन 06 अक्टूबर (रविवार) को है। इस दिन मां आदिशक्ति के चौथे स्वरुप मां कुष्मांडा की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मां कुष्मांडा की सच्चे मन से आराधना करने से साधक के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। अधिष्ठात्री देवी मां कुष्मांडा ब्रह्मांड के मध्य में निवास करती हैं और संसार की रक्षा करती हैं। मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना से साधक को यश, बल और धन की प्राप्ति होती है।
Shardiya Navratri 2024: मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें पूजन व पढ़ें कथा
धर्म शास्त्रों के अनुसार, माता कुष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं। उनके शरीर की कांति भी सूर्य के समान तेज है। कहते हैं मां के तेज से सभी दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। उनकी 8 भुजाएं है, इसकी वजह से मां कुष्मांडा अष्टभुजा देवी कही जाती है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृत पूर्ण कलश, चक्र तथा गदा और आठवें हाथ में जपमाला सुशोभित है। माता कुष्मांडा सिंह की सवारी करती हैं।
Maa Kushmanda puja vidhi मां कुष्मांडा पूजा विधि
सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त होकर हरे रंग के वस्त्र पहनें। इसके बाद मां कुष्मांडा का ध्यान करें। अब धूप, गंध, अक्षत, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान मां को अर्पित करें। मां को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करें तत्पश्चात मां कुष्मांडा की आरती करें।
Maa Kushmanda bhog मां कुष्मांडा का भोग
मां कुष्मांडा को भोग के रूप में मालपुआ चढ़ाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मालपुआ का भोग लगाने से मां कुष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को शुभ आशीर्वाद देती हैं। मालपुआ के अलावा मां को दही और हलवे का भोग भी लगाया जा सकता है।
Maa Kushmanda mantra मां कुष्मांडा का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Maa Kushmanda dhyan mantra मां कुष्मांडा का ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्.
सिंहरूढाअष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वनीम्॥
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च.
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्.
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्.
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
Offer this thing to Maa Kushmanda मां कुष्मांडा को इस चीज का लगाएं भोग
देवी मां को मालपुए का भोग लगाना चाहिए। इसके बाद यह प्रसाद सभी लोगों में वितरित करना चाहिए। माता को पालपुए का भोग लगाने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। साथ ही कष्ट और रोग से मुक्ति मिलती है।
Form of Maa Kushmanda मां कुष्मांडा का स्वरूप
मां कुष्मांडा सूर्य के समान तेज वाली हैं, माता के तेज से ही सभी दिशाओं में प्रकाश होता है। अन्य कोई भी देवी-देवता इनके तेज और प्रभाव का सामना नहीं कर सकता। मा कुष्मांडा अष्टभुजा वाली देवी हैं, इनके सात हाथों में कमण्डलु, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृत पूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है।
Sacrifices are offered to Maa Kushmanda मां कुष्मांडा को चढ़ाई जाती है बलि
मां कुष्मांडा को वैसे तो लाल रंग के पुष्प और फल बहुत प्रिय हैं इसलिए भक्त उनकी आराधना के समय भी यही चीजें चढ़ाते हैं लेकिन इसके अलावा मान्यता है कि देवी को कुम्हड़े (कद्दू) की बलि प्रिय है। इस सब्जी को कुष्मांड भी कहते हैं, जिसके आधार पर देवी का नाम कुष्मांडा पड़ा।
Importance of worshiping Maa Kushmanda मां कुष्मांडा की पूजा का महत्व
मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा-आर्चना करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और मां संकटों से रक्षा करती हैं। अगर आविवाहित लड़कियां मां की श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना करती हैं तो उन्हें मानचाहे वर की प्राप्ति होती है और सुहागन स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा देवी कुष्मांडा अपने भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं। जिस व्यक्ति को संसार में प्रसिद्धि की चाह रहती है, उसे मां कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए। देवी की कृपा से उसे संसार में यश की प्राप्ति हो सकती है।
Maa Kushmanda Remedy मां कूष्मांडा उपाय
नवरात्रि के चौथे दिन मा कूष्मांडा की पूजा करें। उन्हें भोजन में दही और हलवा का भोग लगाएं। इसके बाद उन्हें फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें। इससे मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। देवी मां की सच्चे मन से की गई साधना आपको खुशियों की सौगात दे सकती है।
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
सम्पर्क सूत्र:-9005804317