Edited By Sarita Thapa,Updated: 27 Feb, 2025 01:09 PM
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Maa Mundeshwari Temple: भारत में कई ऐसे मंदिर है जहां बलि चढ़ाई जाती है। उसका इतिहास बेहद निराला है क्योंकि इस मंदिर में बकरे की बलि तो चढ़ती है। लेकिन बकरा मरता नहीं है और बलि के कुछ समय बाद दोबारा जिंदा होकर खुद ही चलता हुआ मंदिर से बाहर आ जाता है।
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Maa Mundeshwari Temple: भारत में कई ऐसे मंदिर है जहां बलि चढ़ाई जाती है। उसका इतिहास बेहद निराला है क्योंकि इस मंदिर में बकरे की बलि तो चढ़ती है। लेकिन बकरा मरता नहीं है और बलि के कुछ समय बाद दोबारा जिंदा होकर खुद ही चलता हुआ मंदिर से बाहर आ जाता है। माता रानी का ये मंदिर बिहार के कैमूर जिले के कौरा क्षेत्र में स्थित है। भगवान शिव और देवी शक्ति को समर्पित ये मुंडेश्वरी देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
मान्यता है कि मां दुर्गा चंड व मुंड नामक राक्षसों का वध करने के लिए इसी स्थान पर प्रकट हुई थी। चंड के वध के बाद मुंड इस स्थान पर एक पहाड़ी के पीछे छिप गया था और इसी स्थान पर ही मां दुर्गा ने मुंड का वध किया था। इसी कारण ही इस स्थान को मुंडेश्वरी देवी के नाम से जाना जाता है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग से जुड़ी एक अदभुत बात ये है कि इस शिवलिंग का रंग दिन में कई बार बदलता है, जो अपने आप में एक रहस्य है। कहा जाता है कि शिवलिंग का रंग सुबह के समय अलग होता है, दोपहर के समय अलग और शाम होते ही इसका रंग अलग हो जाता है।
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इस मंदिर में सबसे अजीबो गरीब परंपरा ये है कि इस मंदिर में बलि चढ़ाने की परंपरा अन्य मंदिरों से बिल्कुल अलग है क्योंकि यहां कि खास बात ये है कि इस मंदिर में जिस बकरे की बलि चढ़ाई जाती है उसकी जान नहीं ली जाती। बलि चढ़ाने की प्रक्रिया भक्तों के सामने ही की जाती है। बलि चढ़ाते समय माता की मूर्ति के सामने ही पुजारी चावल के कुछ दाने मूर्ति को स्पर्श करवाने के बाद बकरे के उपर फेंकता है। चावल फेंकते ही बकरा मानो बेहोश सा हो जाता है, मानो उस में प्राण ही न बचे हों और कुछ समय के बाद फिर इसी प्रकार दोबारा चावल बकरे पर फेंके जाते हैं और बकरा उठ जाता है। बलि चढ़ाने की क्रिया पूरी होने के बाद बकरे को छोड़ दिया जाता है। मंदिर में ये परंपरा सदियो से चली रही है, जो इसे और भी अलग बनाती है।
मंदिर में की गई बेहतरीन नक्काशी का उदाहरण मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही मिल जाता है। प्रवेश द्वार पर गंगा, यमुना के साथ ही अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां बनी हुई हैं। मुख्य गर्भगृह में चतुर्मुखी शिवलिंग और देवी मुंडेश्वरी के दर्शन होते हैं। इसके अलावा यहां अन्य देवताओं जैसे भगवान विष्णु जी, गणेश जी के साथ ही सूर्य देवता की पूजा भी होती है।
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