Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Mar, 2023 08:52 AM
दतिया का पुराना कस्बा चारों ओर से पत्थर की दीवार से घिरा हुआ है, जिसमें बहुत से महल और उद्यान बने हुए हैं। 17वीं शताब्दी में बने बीर सिंह महल को उत्तर भारत की सबसे बेहतरीन इमारतों में माना जाता है। यहां का
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Maa Pitambara Shaktipeeth: दतिया का पुराना कस्बा चारों ओर से पत्थर की दीवार से घिरा हुआ है, जिसमें बहुत से महल और उद्यान बने हुए हैं। 17वीं शताब्दी में बने बीर सिंह महल को उत्तर भारत की सबसे बेहतरीन इमारतों में माना जाता है। यहां का पीताम्बर देवी शक्तिपीठ भारत के श्रेष्ठतम महत्वपूर्ण शक्तिपीठों में एक है। प्रतिवर्ष यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है। कहा जाता है कि मां पीताम्बरा शत्रुओं का नाश करती हैं।
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Rajgarh Palace and Museum राजगढ़ महल और संग्रहालय : पीताम्बर पीठ के निकट बना राजगढ़ महल राजा शत्रुजीत बुंदेला द्वारा बनवाया गया था। यह महल बुंदेली भवन निर्माण शैली में बना है। इस स्थान पर ही यह संग्रहालय भी है, जहां भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व की अनेक वस्तुओं का संग्रह रखा गया है। मां के शक्ति के धामों में एक धाम है मां बगलामुखी का। जिसका नाम मां बगलामुखी सिद्धपीठ है।
माता बगुलामुखी के सम्पूर्ण हिन्दोस्तान में केवल दो सिद्ध शक्तिपीठ विद्यमान हैं, जिसमें एक मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया में तथा दूसरा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बनखंडी में स्थित है। लोगों का अटूट विश्वास है कि माता अपने दरबार से किसी को निराश नहीं भेजती है। केवल सच्ची श्रद्धा की आवश्यकता है।
मां बगलामुखी को कलियुग में बहुत शक्तिशाली देवियों में से एक देवी के रूप में जाना जाता है। जिनकी कृपा से कार्यों में आने वाली विघ्न बाधाएं दूर होती हैं, संकट टल जाते हैं तथा साहस पराक्रम आदि की प्राप्ति होती है। जिसके चलते वैदिक ज्योतिष हजारों सालों से श्री बगलामुखी मंत्र का प्रयोग मां बगलामुखी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तथा अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त करने के लिए करता रहा है।
मां बगलामुखी एक साथ तीन रूपों में दर्शन देती हैं और जिनके आशीर्वाद से भक्तों की हर मुराद पूरी हो जाती है लेकिन मां को प्रसन्न करने के लिए अनुष्ठान करना होता है और जिसने विधि-विधान से मां को खुश कर दिया, पांच गुरुवार के भीतर उसकी हर कामना पूरी हो जाती है।
What is the Colour of Baglamukhi पीला रंग है खास : बगलामुखी की प्रतिमा पीताम्बर स्वरूप की है। पीत यानी पीला इसलिए यहां पीले रंग की सामग्री ही चढ़ाई जाती है। जैसे पीला कपड़ा, पीली चुनरी, पीला प्रसाद, पीले फूल आदि।