Maa Saptashrungi Shaktipeeth: नासिक के इस पर्वत पर किया था मां दुर्गा ने महिषासुर का वध, 472 सीढ़ियां चढ़ने के बाद होते हैं दर्शन

Edited By Prachi Sharma,Updated: 30 Mar, 2025 10:39 AM

maa saptashrungi shaktipeeth

आज से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि में नौ दिनों तक आदि शक्ति दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान देश भर में सभी दुर्गा मंदिरों में मां के भक्तों की भारी भीड़ जुटती है और देवी के भक्त पूरी

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Maa Saptashrungi Shakti Peeth: आज से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि में नौ दिनों तक आदि शक्ति दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान देश भर में सभी दुर्गा मंदिरों में मां के भक्तों की भारी भीड़ जुटती है और देवी के भक्त पूरी श्रद्धा से मां की आराधना कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा ने शेर पर सवार होकर महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था, इसलिए इन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।नवरात्रि में अगर आप माता दुर्गा के अद्भुत मंदिरों के दर्शन करना चाहते हैं, तो आपको सप्तशृंगी देवी मंदिर में भी दर्शन करने के लिए जरूर जाना चाहिए। मान्यता है कि यहीं मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। मंदिर की खास बात है कि महाराष्ट्र के नासिक में 4800 फुट ऊंची पहाड़ी पर यह स्थित है।
इस तक पहुंचने के लिए 472 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है। सप्तशृंग पर्वत पर मां भवानी के इस अद्भुत मंदिर को सप्तशृंगी देवी के नाम से जानते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 108 शक्तिपीठों में से साढ़े तीन शक्तिपीठ महाराष्ट्र में स्थित हैं। बता दें कि आदि शक्ति स्वरूपा सप्तशृंगी देवी को ही अर्धशक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है।

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मां भगवती बदलती हैं चेहरे के भाव
इस मंदिर में स्थित मां भगवती के बारे में कहा जाता है कि माता समय-समय पर अपने चेहरे के भाव भी बदलती रहती हैं। चैत्र नवरात्रि में मां भगवती प्रसन्न मुद्रा में दिखती हैं, तो वहीं अश्विन नवरात्रि में बहुत ही गंभीर मुद्रा में दिखाई देती हैं। भक्तों का मानना है कि अश्विन नवरात्रि में मां दुर्गा विशेष रूप से पापियों का संहार करने के लिए अलग-अलग रूप धरकर धरती पर निकलती हैं।

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सात पर्वतों से घिरा मंदिर
देवी का यह मंदिर सात पर्वतों से घिरा हुआ है इसलिए यहां की देवी को सप्तशृंगी अर्थात सात पर्वतों की देवी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इन सात पर्वतों पर होने वाली गतिविधियों पर माता पूरी निगरानी रखती हैं इसलिए मां भगवती को सात पर्वतों की देवी भी कहा जाता है। मंदिर में पानी के 108 कुंड भी बने हुए हैं।

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महिषासुर के कटे सिर की पूजा
हैरानी की बात यह भी है कि इस मंदिर में महिषासुर की पूजा भी होती है। सप्तशृंगी मंदिर की सीढ़ियों के बाईं तरफ महिषासुर का एक छोटा-सा मंदिर है, जहां पर माता के भक्त जाते-जाते महिषासुर के दर्शन और पूजा भी करते हैं। माता ने महिषासुर का वध त्रिशूल से किया था, जिससे पहाड़ी पर एक बड़ा छेद बन गया था, जिसे यहां आज भी देखा जा सकता है।

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कैसे पहुंचें
मंदिर पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन नासिक है। नासिक शहर से सप्तशृंगी देवी का मंदिर 65 किलोमीटर दूर वणी गांव में स्थित है। आप नासिक पहुंचकर टैक्सी या बस से यहां पहुंच सकते हैं। जो लोग 472 सीढ़ियां चढ़ने की हिम्मत नहीं रखते, उनके लिए अब सप्तशृंगी देवी मंदिर में जाकर मां दुर्गा के दर्शन करने आसान हो गए हैं क्योंकि अब यहां रोप-वे सेवा शुरू हो चुकी है।
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