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Maa Saraswati Birth Story: वाणी एवं ज्ञान की देवी मां सरस्वती की उत्पत्ति कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Jan, 2024 08:21 AM

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सृष्टि के निर्माण के समय सबसे पहले महालक्ष्मी देवी प्रकट हुईं। इन्होंने भगवान शिव, विष्णु एवं ब्रह्मा जी का आह्वान किया। जब ये तीनों देव उपस्थित हुए, देवी महालक्ष्मी ने तब तीनों देवों से अपने-अपने गुण के अनुसार

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Maa Saraswati Birth Story: सृष्टि के निर्माण के समय सबसे पहले महालक्ष्मी देवी प्रकट हुईं। इन्होंने भगवान शिव, विष्णु एवं ब्रह्मा जी का आह्वान किया। जब ये तीनों देव उपस्थित हुए, देवी महालक्ष्मी ने तब तीनों देवों से अपने-अपने गुण के अनुसार देवियों को प्रकट करने का अनुरोध किया। भगवान शिव ने तमोगुण से महाकाली को प्रकट किया।

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भगवान विष्णु ने रजोगुण से देवी लक्ष्मी को तथा ब्रह्मा जी ने सत्वगुण से देवी सरस्वती का आह्वान किया। जब ये तीनों देवियां प्रकट हुईं, तब जिन देवों ने जिन देवियों का आह्वान किया था, उन्हें देवी सृष्टि संचालन हेतु महालक्ष्मी ने भेंट किया। इसके पश्चात स्वयं महालक्ष्मी माता लक्ष्मी के स्वरूप में समा गईं।

सृष्टि का निर्माण कार्य पूरा करने के बाद ब्रह्मा जी ने जब अपनी बनाई सृष्टि को देखा तो पाया कि यह मृत शरीर की भांति शांत है। इसमें न तो कोई स्वर है और न वाणी। अपनी उदासीन सृष्टि को देखकर ब्रह्मा जी को अच्छा नहीं लगा। ब्रह्मा जी भगवान विष्णु के पास गए और अपनी उदासीन सृष्टि के विषय में बताया। ब्रह्मा जी से तब भगवान विष्णु ने कहा कि देवी सरस्वती आपकी इस समस्या का समाधान कर सकती हैं। आप उनका आह्वान कीजिए उनकी वीणा के स्वर से आपकी सृष्टि से ध्वनि प्रवाहित होने लगेगी।

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भगवान विष्णु के कथनानुसार ब्रह्मा जी ने सरस्वती देवी का आह्वान किया। सरस्वती माता के प्रकट होने पर ब्रह्मा जी ने उन्हें अपनी वीणा से सृष्टि में स्वर भरने का अनुरोध किया। माता सरस्वती ने जैसे ही वीणा के तारों को छुआ उससे ‘सा’ शब्द फूट पड़ा। यह शब्द संगीत के सप्तसुरों में प्रथम सुर है।

ध्वनि से ब्रह्मा जी की मूक सृष्टि में ध्वनि का संचार होने लगा। हवाओं को, सागर को, पशु पक्षियों एवं अन्य जीवों को वाणी मिल गई। नदियों से कल-कल की ध्वनि फूटने लगी। इससे ब्रह्मा जी अति प्रसन्न हुए। उन्होंने सरस्वती को वाणी की देवी के नाम से संबोधित करते हुए वागेश्वरी नाम दिया। सरस्वती माता के हाथों में वीणा होने के कारण इन्हें वीणामणि भी कहा जाता है।  

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