Edited By Prachi Sharma,Updated: 30 Jan, 2025 01:00 AM
माघ महीने में गुप्त नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक मनाया जाता
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Magh Gupt Navratri 2025: माघ महीने में गुप्त नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस बार माघ गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी 2025 यानि आज से आरंभ हो रही है और यह 7 फरवरी 2025 तक चलेगी। इस नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है क्योंकि इस दौरान महा विद्याओं की पूजा विशेष रूप से गुप्त रूप से की जाती है। इसका अर्थ है कि भक्त इसे गोपनीय तरीके से मनाते हैं और सार्वजनिक रूप से इसका आयोजन नहीं किया जाता। इस दिन से लेकर नवमी तक विशेष उपवासन, उपासना, व्रत, और साधना की जाती है ताकि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति हो सके। तो चलिए जानते हैं घटस्थापना का मुहूर्त:
Magh Gupt Navratri 2025 गुप्त नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त :
हिंदू कैलेंडर के अनुसार शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा और अगले दिन 30 जनवरी को शाम 4 बजकर 10 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा होगा। उदया तिथि के अनुसार आज 30 जनवरी से माघ महीने की गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है।
घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त- 30 जनवरी को सुबह 9 बजकर 41 मिनट से सुबह 10 बजकर 59 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 29 से और दोपहर 1 बजकर 14 मिनट तक
माघ गुप्त नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना का विशेष महत्व है। घट स्थापना का मतलब होता है, कलश की स्थापना करना, जिसमें देवी की प्रतीकात्मक रूप में पूजा की जाती है। घट स्थापना के दौरान विशेष रूप से दीप जलाए जाते हैं और देवी को आह्वान किया जाता है ताकि घर और जीवन में सुख-समृद्धि का वास हो।
माघ गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्रि का महत्व खासकर उन भक्तों के लिए है जो विशेष रूप से ध्यान और साधना में रुचि रखते हैं। यह पर्व आत्मिक उन्नति, आध्यात्मिक शक्ति, और साधना का है। गुप्त नवरात्रि का मुख्य उद्देश्य मानसिक शांति प्राप्त करना और अपने जीवन में सकारात्मकता लाना है।
Puja Vidhi पूजा विधि:
सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर देवी का कलश रखें।
कलश के अंदर जल भरकर उसमें सुपारी, कौड़ियां और कुछ सिक्के डालें। कलश के ऊपर मौली बांधें और उसे फिर देवी के प्रतीक के रूप में स्थापित करें।
कलश स्थापित करने के बाद देवी दुर्गा या अन्य देवी की मूर्ति या तस्वीर को शुद्ध घी का दीपक, अगरबत्ती और फूलों से सजाकर उनकी आराधना करें।
आज के दिन खास तौर पर मंत्रों का जाप करना शुभ होता है। मंत्र जाप में ॐ दुं दुर्गायै नमः का जाप करें।
देवी को भोग अर्पित करने के बाद, उसका प्रसाद घर के सभी लोगों में बांटें। यह पूजा का एक अहम हिस्सा है, जिससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।