Edited By Prachi Sharma,Updated: 06 Feb, 2025 07:40 AM
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तीर्थों के राजा प्रयागराज की पावन धरा पर 144 साल बाद महाकुंभ के अद्भुत अलौकिक संयोग के बीच 30 जनवरी को मां भगवती के प्रथम गुप्त नवरात्रि के अति विशेष दिवस की विश्व की करोड़ों संगत सहित संतों
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जालंधर (सुधीर): तीर्थों के राजा प्रयागराज की पावन धरा पर 144 साल बाद महाकुंभ के अद्भुत अलौकिक संयोग के बीच 30 जनवरी को मां भगवती के प्रथम गुप्त नवरात्रि के अति विशेष दिवस की विश्व की करोड़ों संगत सहित संतों, महंतों, महामंडलेश्वरों को भी प्रतीक्षा थी और इस दिन गंगा जी में डुबकी लगाई थी।प्रयागराज स्थित पंचायती निरंजनी अखाड़ा परिसर में महामंडलेश्वर महाब्रहाऋषि कुमार स्वामी के पट्टाभिषेक समारोह में पंचायती निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर पंचायती निरंजनी पीठाधीश्वर कैलाशानन्द गिरि महाराज ने वैदिक मंत्रों व पुष्प वर्षा के बीच यह उद्घोष किया कि महामंडलेश्वर
महाब्रह्मऋषि कुमार स्वामी को जगद्गुरु की उपाधि से अलंकृत किया जाता है।
बीती संकट चतुर्थी पर प्रयाग की धरती पर परम पूज्य सद्गुरुदेव महाब्रह्मऋषि कुमार स्वामी के प्राकट्य दिवस पर कई महान संतों ने उन्हें विश्व के महान पद से अलंकृत किया। यह महाकुंभ की सबसे प्रमुख व अलौकिक घटना इतिहास रच गई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महामंडलेश्वर रविन्द्र पुरी महाराज ने जगदगुरु महाब्रह्मऋषि महामंडलेश्वर कुमार स्वामी का जयघोष कराया तो पूरा समारोह स्थल जगद्गुरु के जयघोष से गुंजायमान हो उठा था।
इस मौके पर काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता आचार्य दिनेश गर्ग, प्रो. शिवशंकर मिश्र, आचार्य रामचंद्र द्विवेदी, आनन्द अखाड़ा के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर आचार्य बालकानंद गिरि महाराज मौजूद थे।