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Maha Kumbh mela 2025: महाकुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालु के आवागमन के बावजूद कचरे का नामोनिशान नहीं

Edited By Sarita Thapa,Updated: 20 Jan, 2025 09:22 AM

maha kumbh mela 2025

प्रयागराज (नरेश कुमार): प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में अब तक 6 दिनों में साढे़ 7 करोड़ से अधिक लोगों ने पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई है और रोजाना प्रयागराज में करीब 20  लाख लोगों का आवागमन हो रहा है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं...

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प्रयागराज (नरेश कुमार): प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में अब तक 6 दिनों में साढे़ 7 करोड़ से अधिक लोगों ने पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई है और रोजाना प्रयागराज में करीब 20  लाख लोगों का आवागमन हो रहा है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आवागमन के बावजूद मेला क्षेत्र में कचरे का नामोनिशान नहीं है। 

मेले में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के साथ-साथ मेला प्राधिकरण भी साफ-सफाई का ख़ास ध्यान रख रहा है। मेले में प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए प्रशासन ‘एक श्रद्धालु एक थैला, स्वच्छ मेला’ नाम की मुहिम भी चला रहा है और तमाम तरीकों से मेले को पर्यावरण के अनुकूल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। 

सह मेला अधिकारी एस.डी.एम. विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि मेले में लगाए जाने वाले लंगरों के दौरान जो भी कचरा पैदा हो रहा है उसके प्रबंध के लिए विशेष टीम काम कर रही है और सफाई व्यवस्था के लिए 15000 से ज्यादा सफाई कर्मचारी ड्यूटी कर रहे हैं। इस दौरान मेला क्षेत्र में पैदा होने वाले सारे कचरे की प्रोसैसिंग के लिए इसे बदियाल स्थित प्रोसैसिंग प्लांट में भेजा जा रहा है। इसके साथ ही मेला क्षेत्र में हर 50 मीटर की दूरी पर डस्टबिन लगाए गए हैं और श्रद्धालु खुद भी मेला क्षेत्र में सफ़ाई को लेकर सजग हैं और इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। इन डस्टबिनों को खाली करने के लिए टीमों की ड्यूटी लगाई गई है और सफाई के काम को लगातार मॉनिटर भी किया जा रहा है। 

इतना ही नहीं, मेला क्षेत्र के अलावा पवित्र संगम में स्नान के दौरान घाटों की सफाई का भी खास ध्यान रखा जा रहा है और घाटों पर भी सफाई का काम लगातार जारी है। इस काम में स्थानीय एन.जी.ओ. के कार्यकर्त्ता भी प्रशासन की मदद कर रहे हैं। संगम के तमाम घाटों पर सफ़ाई सेवकों की टीमें तैनात हैं जो श्रद्धालुओं द्वारा स्नान के बाद पानी में बहाए जा रहे फूलों और नारियल को पानी में से जाली के माध्यम से निकालने के काम में जुटी हैं। पानी का बी.ओ.डी. लैवल भी लगातार मॉनिटर किया जा रहा है और पानी की गुणवत्ता में पिछले कुंभ के मुकाबले काफी सुधार हुआ है।
 

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