Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Dec, 2024 01:02 AM
Mahabharata: महाभारत के वनपर्व में एक प्रसंग है यक्ष युधिष्ठिर संवाद का, जिसमें बहुत ही अच्छे प्रश्नोत्तर किए गए हैं। यक्ष के प्रश्नों के जो उत्तर युधिष्ठिर ने दिए थे, वे आज भी प्रासंगिक और उपयोगी सिद्ध होते हैं। यक्ष ने पूछा:
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Mahabharata: महाभारत के वनपर्व में एक प्रसंग है यक्ष युधिष्ठिर संवाद का, जिसमें बहुत ही अच्छे प्रश्नोत्तर किए गए हैं। यक्ष के प्रश्नों के जो उत्तर युधिष्ठिर ने दिए थे, वे आज भी प्रासंगिक और उपयोगी सिद्ध होते हैं। यक्ष ने पूछा:
क: मोदते किमाश्चर्यं क: पंथा का वार्तिका। ममैतांश्चतुर: प्रश्नान् कथयित्वा जलं पिब॥
अर्थात सुखी कौन है ? आश्चर्य क्या है ? मार्ग क्या है और वार्त्ता क्या है ? मेरे इन चार प्रश्नों का उत्तर देकर जल पियो।
युधिष्ठिर ने उत्तर दिया- हे यक्ष ! जो मनुष्य किसी का ऋणी नहीं है, जो परदेश में नहीं है, वह चाहे अपने घर में रुखा-सूखा ही क्यों न खाता हो वही सुखी है।
प्रतिदिन प्राणी मृत्यु को प्राप्त होते हैं, यानी मरते हैं, फिर भी जो जीवित हैं, वे सदा जीवित रहने की इच्छा करते हैं, इससे बढ़कर आश्चर्य की बात और क्या होगी और जिस मार्ग पर महापुरुष चले हों, वही चलने योग्य सन्मार्ग है
‘महाजनो येन गत: स पंथा:’ क्योंकि सन्मार्ग अथवा सही रास्ते पर चलने वाला भटकता नहीं, अपितु अपनी मंजिल पर पहुंच जाता है और ज्ञान चर्चा करना ही वार्त्ता है।