Edited By Jyoti,Updated: 27 Mar, 2020 01:00 PM
![mahakali temple gangolihat pithoragarh](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2020_3image_12_22_357830190image27-ll.jpg)
25 मार्च से इस साल के चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो चुके हैं। जिसके साथ ही माता रानी के भक्त उनकी पूजा अर्चना करने में झुट गए हैं।
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25 मार्च से इस साल के चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो चुके हैं। जिसके साथ ही माता रानी के भक्त उनकी पूजा अर्चना करने में झुट गए हैं। पौराणिक मान्यताओं तथा धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दौरान देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की खास तरह के पूजा अर्चना की जाती है। देवी के ये रूप हैं, शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी देवी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री देवी। नवरात्रि के खास अवसप पर हम आपको महाकाली के बारे में ऐसा कुछ बताने वाले हैं जो आप शायद अब तक आप नहीं जानते हैं। जी हां, आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने वाले हैं जहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार आज भी यहां महाकाली रोज़ रात को आराम करने आती हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाविद्याओं की जननी हाटकाली की महाआरती के बाद शक्ति के पास महाकाली का बिस्तर लगाया जाता है और सुबह बिस्तर यह दर्शाता है कि मानों यहां साक्षात कालिका विश्राम करके गई हों, क्योंकि विस्तर में सलवटें पड़ी रहती हैं। हम जानते हैं अब आपकी इस जगह के बारे में जानने की उत्सुक्ता और बढ़ गई होगी। तो चलिए आपकी इस उत्सुक्त को खत्म करते हैं और जानते हैं इस जगह के बारे में-
![PunjabKesari, Mahakali temple gangolihat, महाकाली मंदिर, पिथौरागढ](https://static.punjabkesari.in/multimedia/12_55_5867698242.jpg)
बता दें जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं वो देवभूमि उत्तराखंड के पिथौरगढ़ जिले के गंगोलहाट में स्थित है। जो अनगिनत, असंख्य अलौकिक दिव्य चमत्कारों से भरा पड़ा है। भगवती महाकालिका के ये दरबार लोगों की आस्था का केंद्र है। अपने आप में ये महाकाली मंदिर अनेक रहस्यमयी कथाओं को समेटे हुए हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्तजन श्रद्वापूर्वक महाकाली के चरणों में आराधना के पुष्प अर्पित करता है उसके जीवन से रोग, शोक, दरिद्रता एवं महान विपदाएं हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं। तो वहीं स्थानीय लोग ये भी बताते हैं यहां श्रद्वा एवं विनयता से की गई पूजा कभी निष्फल नहीं होती। यही कारण है कि वर्ष भर यहां बडी संख्या में श्रद्वालु पहुंचते हैं।
![PunjabKesari, Mahakali temple gangolihat, महाकाली मंदिर, पिथौरागढ](https://static.punjabkesari.in/multimedia/12_56_2633595974.jpg)
एक अन्य सबसे प्रसिद्व किवदंति के अनुसार मां कालिका का जब रात में डोला चलता है तो इस डोले के साथ कालिका के गण, आंण व बांण की सेना भी चलती हैं। कहते हैं अगर कोई व्यक्ति इस डोले को छू ले तो दिव्य वरदान प्राप्त होता है। कहा ये भी जाता है कि महाआरती के बाद मंदिर में शक्ति के पास महाकाली का बिस्तर लगाया जाता है और प्रातः काल बिस्तर पर सिलवटे दिखाई देती हैं। जिसे देखकर ये मान लिया जाता है कि मां कालिका यहां विश्राम करके गई हों। मां काली के प्रति उनके तमाम किस्से आज भी क्षेत्र में सुने जाते है। तो महाकाली भगवती का यह दरबार असंख्य चमत्कार व किवदंतियों से भरा पड़ा है।
![PunjabKesari, Mahakali temple gangolihat, महाकाली मंदिर, पिथौरागढ](https://static.punjabkesari.in/multimedia/12_56_1287307343.jpg)