Mahakumbh 2025: शाही स्नान से पहले नागा साधु करते हैं ये 17 श्रृंगार जानिए, रोचक रहस्य

Edited By Prachi Sharma,Updated: 12 Jan, 2025 08:28 AM

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12 साल बाद होने वाला महाकुम्भ का आगाज 13 जनवरी से हो जाएगा और 26 फरवरी को इसका समापन होगा। रिपोर्ट्स के अनुसार इस बार महाकुम्भ में लगभग 40 करोड़ लोगों के साथ-साथ 4 लाख साधु-संतों के

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Maha kumbh 2025: 12 साल बाद होने वाला महाकुम्भ का आगाज 13 जनवरी से हो जाएगा और 26 फरवरी को इसका समापन होगा। रिपोर्ट्स के अनुसार इस बार महाकुम्भ में लगभग 40 करोड़ लोगों के साथ-साथ 4 लाख साधु-संतों के आने का अनुमान है और उत्तर प्रदेश की सरकार भी जोरो-शोरों से महाकुंभ की तैयारी में लगी हुई है। महाकुंभ के शाही स्नान की शुरुआत भी साधु-संतों के द्वारा ही की जाएगी फिर उसके बाद ही आम जनता पवित्र गंगा में भक्ति की डुबकी लगाएगी। नागा साधु भारतीय संत समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं जो विशेष रूप से महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। इन साधुओं का जीवन बेहद साधारण और तपस्वी होता है लेकिन उनका एक विशिष्ट जीवनशैली और श्रृंगार भी होता है, जो उन्हें अन्य साधुओं से अलग पहचान देता है। ये संसार की माया से दूर होते हैं और नागा साधु शाही स्नान करने से पहले 17 श्रृंगार करते हैं।

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Naga sadhus do makeup before royal bath नागा साधु शाही स्नान से पहले करते हैं श्रृंगार

महाकुंभ में सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं। इनके मन में धर्म में प्रति निष्ठा और कठोर तपस्या को देखते हुए नागा अखाड़ों को प्रथम स्नान की अनुमति दी जाती है। शाही स्नान से पहले नागा साधु भी खास रूप से तैयारियां करते हैं और उसके बाद ही स्नान करने के लिए प्रस्थान करते हैं। तो चलिए ज्यादा देर न करते  हुए जानते हैं नागा साधुओं के 17 श्रृंगार के बारे में -

भभूत
लंगोट
चंदन
पैरों में कड़ा (चांदी या लोहे का)
पंचकेश
अंगूठी
फूलों की माला (कमर में बांधने के लिए)
हाथों में चिमटा
माथे पर रोली का लेप
डमरू
कमंडल
गुथी हुई जटा
तिलक
काजल
हाथों का कड़ा
विभूति का लेप
रुद्राक्ष

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नागा साधुओं के लिए महाकुम्भ एक विशेष खासियत रखता है ऐसा इस वजह से क्योंकि महाकुंभ में स्नान करने के बाद ही इनकी तपस्या पूर्ण मानी जाती है।

 Why do Naga Sadhus adorn themselves before the royal bath नागा साधु शाही स्नान से पहले क्यों करते हैं श्रृंगार

नागा साधु अपने शरीर पर श्रृंगार करते हैं क्योंकि इसे वे शुद्धता, शक्ति और आंतरिक ज्ञान का प्रतीक मानते हैं। वे मानते हैं कि यह श्रृंगार उन्हें आत्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

श्रृंगार का उद्देश्य केवल बाहरी सुंदरता को बढ़ाना नहीं है बल्कि यह आंतरिक शुद्धता और संतुलन को बनाए रखने का भी एक तरीका है। नागा साधु विशेष रूप से महाकुंभ जैसे आयोजनों में अपने शरीर को शुद्ध करने और भगवान से जुड़ने के लिए श्रृंगार करते हैं।

श्रृंगार नागा साधु की साधना और तपस्या को और मजबूत करता है। यह उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध करता है ताकि वे शाही स्नान के दौरान अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को सही तरीके से अनुभव कर सकें।

शाही स्नान के दौरान, नागा साधु विश्वास करते हैं कि उनका शरीर और आत्मा एक साथ शुद्ध हो जाते हैं। श्रृंगार करने से वे अपने मन और शरीर को शुद्ध करने के लिए तैयार होते हैं।

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