Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Feb, 2025 02:28 PM
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Mahakumbh 2025: कुंभ है घड़ा जिसमें अमरता के लिए महान अमृत छिपा था। वही घड़ा तेरा शरीर है जिसमें महान आत्मा रूपी अमृत छुपा है। जिसे शिव कहते हैं, यानी शिव तेरे अंदर है और बाहर है शव। शव का स्नान हो गया,
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Mahakumbh 2025: कुंभ है घड़ा जिसमें अमरता के लिए महान अमृत छिपा था। वही घड़ा तेरा शरीर है जिसमें महान आत्मा रूपी अमृत छुपा है। जिसे शिव कहते हैं, यानी शिव तेरे अंदर है और बाहर है शव। शव का स्नान हो गया, शिव का स्नान बाकी है। शिव की जटाओं में गंगा दिखाई है और उस गंगा को तुम्हारे अंदर प्रकट होना है। वो गंगा तभी प्रकट होगी जब सरस्वती के ज्ञान से अंदर विकारों की मैल धुले यानी यमुना फिर गंगा हो जाए जैसे त्रिवेणी संगम प्रयागराज में यमुना गंगा हो जाती है । जैसे बाहर (शरीर रुपी शव) स्नान करते हैं तो शरीर की मैल धुलती है, ऐसे ही तुम्हारे अंदर ज्ञान प्रकट हो जिससे, तुम्हारे अंदर विकारों की जमी हुई मैल बाहर निकलेगी और तुम्हारा उस गंगा रूपी शुद्ध रूप का शिव से मिलन होगा। कहा कि शिव का मिलन अंत में होगा, इसलिए महादेव ने अपना दिन, महाशिवरात्रि, आखिर में 26 फरवरी 2025 रखा।
अब साधक के लिए ये 13 दिन हैं जिनमें वो ‘मेरा’ (ईगो या अहंकार) से "तेरा" करने के लिए साधना में जुट जाएगा तो शिव को पा लेगा। पर अगर ऐसा न हो सका तो तेरी अभी महाकुंभ यात्रा बाकी है, घर जाकर तुम्हें अंतर्मुखी स्नान की तैयारी करनी है। बहिर्मुखी स्नान तो हुआ, जिसके लिए तुमने इतने दर्द और इतनी तकलीफ सही पर अंतर्मुखी स्नान आवश्यक है नहीं तो बाहर का स्नान पुण्य फल देगा पर मुक्ति नहीं होगी क्योंकि मुक्ति के लिए अंतर्मुखी स्नान जरूरी है।
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जो लोग किसी कारण से नहीं आ सके, वो अगर अंतर्मुखी स्नान में आ जाएंगे तो बहिर्मुखी स्नान अपने आप हो जाएगा । अंतर्मुखी स्नान होगा जब तू सरस्वती यानी ज्ञान, ग्रंथ का ज्ञान, फिर चाहे कोई भी धारा का ग्रंथ हो जैसे गीता, उपनिषद, गुरु ग्रंथ साहिब, कबीर वाणी आदि से ज्ञान लेगा और अंदर से निर्मल हो जाएगा जैसे गंगा नीर, आगे पीछे हरि फिरे कहत।
- पंकज टक्कर
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