Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Feb, 2025 06:43 AM

Maha Kumbh Last Day: 26 फरवरी को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस पावन दिन पर महाकुंभ का आखिरी स्नान और महाशिवरात्रि का पावन पर्व है। अब तक लगभग 63 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ में पवित्र डुबकी लगा चुके हैं।
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Maha Kumbh Last Day: 26 फरवरी को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस पावन दिन पर महाकुंभ का आखिरी स्नान और महाशिवरात्रि का पावन पर्व है। अब तक लगभग 63 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ में पवित्र डुबकी लगा चुके हैं। यह आंकड़ा अभी भी लगातार बढ़ता जा रहा है। शिव भक्तों के लिए तो यह तिथि बहुत ही खास रहने वाली है। इस रोज गंगा स्नान और शिव पूजा का महत्व बढ़ जाता है। हिंदू धर्म में स्नान को शुद्धि और आत्मा के पवित्र होने का महत्वपूर्ण तरीका माना गया है। यह ध्यान में रखें कि शास्त्रों में साफ-सफाई, आंतरिक शुद्धता और मानसिक शांति को बहुत महत्व दिया गया है। स्नान केवल बाहरी शुद्धता का कार्य नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की आत्मिक शुद्धि का प्रतीक भी है। शास्त्रों के अनुसार स्नान का तरीका निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:

स्नान से पहले आत्मिक तैयारी:
स्नान से पहले व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होना चाहिए। पवित्रता की भावना और सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। स्नान करने से पहले उबटन (हल्दी, चंदन, या उबटन से शरीर को रगड़ना) का महत्व भी है। यह शुद्धि का प्रतीक है।

स्नान स्थल का चयन:
स्नान हमेशा स्वच्छ स्थान पर करना चाहिए। अगर आप गंगाजल या पवित्र नदी के जल से स्नान कर रहे हैं तो उस स्थान को भी पवित्र करना आवश्यक है।

गंगाजल का प्रयोग:
यदि आप गंगाजल का उपयोग कर रहे हैं, तो पहले उसका पानी ताम्बे या कांच के बर्तन में भरें। इसे कभी भी लोहे के बर्तन में न रखें। गंगाजल को उबाला न जाए। इस पानी से स्नान करते समय इस मंत्र का जाप करें:
"गंगायै नमः" या "गंगाजलाय नमः" यह मंत्र कहकर शरीर पर जल छिड़कें।
गंगा मंत्र- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।

स्नान विधि:
स्नान करते समय पहले शरीर को पवित्र जल से धोना चाहिए, फिर साबुन या अन्य किसी पदार्थ का उपयोग न करते हुए सिर्फ गंगाजल से स्नान करें। यदि गंगाजल की कमी हो तो आप इसे पानी में मिलाकर स्नान कर सकते हैं। शास्त्रों में यह कहा गया है कि स्नान करने के बाद शरीर में गंगाजल के कुछ अंश बनाए रखें और फिर भगवान का ध्यान करें।

प्रारंभिक मंत्रोच्चारण:
स्नान करते समय या स्नान के पहले 'ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः' यह मंत्र का उच्चारण किया जाता है। यह मंत्र शुद्धि का प्रतीक है।

स्नान के बाद आचमन:
स्नान के बाद आचमन करना भी आवश्यक है। इसके लिए पानी के कुछ छींटे मुंह और आंखों पर डालते हुए "ॐ शान्ति शान्ति शान्ति" का जाप किया जाता है।

पूजा और ध्यान:
स्नान के बाद भगवान शिव का पूजन करें। गंगाजल से स्नान करने के बाद शिवलिंग के दर्शन करके और उनसे आशीर्वाद लेकर आप दिन की शुरुआत करें। भगवान शिव के पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ जरूर करें, इस स्तोत्र का पाठ करने से असंभव कार्य भी संभव हो जाएंगे-

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय॥१॥
मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै म काराय नमः शिवाय॥२॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय॥३॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय॥४॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय॥५॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
