Mahalakshmi vrat katha: इस कथा को पढ़ने-सुनने से सदा रोशन रहता है घर का चिराग

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Sep, 2024 06:42 AM

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ज्योतिषशास्त्र के पंचांग खंड अनुसार महालक्ष्मी व्रत Mahalaxmi vrat 2024 आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन प्रदोष काल में मनाए जाने का विधान है। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन हाथी पर सवार देवी गजलक्ष्मी Gajalakshmi Puja के पूजन का विधान...

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Mahalaxmi vrat 2024: ज्योतिषशास्त्र के पंचांग खंड अनुसार महालक्ष्मी व्रत Mahalaxmi vrat 2024 आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन प्रदोष काल में मनाए जाने का विधान है। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन हाथी पर सवार देवी गजलक्ष्मी के पूजन का विधान है। शस्त्रानुसार यह पर्व देवी गजलक्ष्मी Gajalakshmi Puja की कृपा पाने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन किए गए पूजन, उपाय, अनुष्ठान व टोटकों का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। मान्यता है की जिस घर की महिलाएं इस कथा को पढ़ती या सुनती है, उस घर का चिराग सदा रोशन रहता है।

PunjabKesari Mahalakshmi vrat katha 

Mahalaxmi vrat 2024: महालक्ष्मी व्रत कथा
महालक्ष्मी व्रत पौराणिक काल से मनाया जा रहा है। शास्त्रानुसार महाभारत काल में जब महालक्ष्मी पर्व आया। उस समय हस्तिनापुर की महारानी गांधारी ने देवी कुन्ती को छोड़कर नगर की सभी स्त्रियों को पूजन का निमंत्रण दिया। गांधारी के 100 कौरव पुत्रों ने बहुत सी मिट्टी लाकर सुंदर हाथी बनाया व उसे महल के मध्य स्थापित किया।

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जब सभी स्त्रियां पूजन हेतु गांधारी के महल में जाने लगी। इस पर देवी कुन्ती बड़ी उदास हो गई। इस पर अर्जुन ने कुंती से कहा हे माता! आप लक्ष्मी पूजन की तैयारी करें, मैं आपके लिए जीवित हाथी लाता हूं। अर्जुन अपने पिता इंद्र से स्वर्गलोक जाकर ऐरावत हाथी ले आए।

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कुन्ती ने सप्रेम पूजन किया। जब गांधारी व कौरवों समेत सभी ने सुना कि कुन्ती के यहां स्वयं एरावत आए हैं तो सभी ने कुंती से क्षमा मांगकर गजलक्ष्मी के ऐरावत का पूजन किया।

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शास्त्रनुसार इस व्रत पर महालक्ष्मी को 16 पकवानों का भोग लगाया जाता है। सोलह बोल की कथा 16 बार कहे जाने का विधान है व कथा के बाद चावल या गेहूं छोड़े जाते हैं। 

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सोलह बोल की कथा:"अमोती दमो तीरानी, पोला पर ऊचो सो परपाटन गांव जहां के राजा मगर सेन दमयंती रानी, कहे कहानी। सुनो हो महालक्ष्मी देवी रानी, हम से कहते तुम से सुनते सोलह बोल की कहानी॥"

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