Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Oct, 2023 07:40 PM
महाराजा अग्रसेन त्याग, अहिंसा, शांति व समृद्धि के लिए एक सच्चे समाजसेवी तथा अवतार थे। इनका जन्म प्रतापनगर के राजा वल्लभ के घर हुआ था। उस समय द्वापर युग का अंतिम चरण था। वर्तमान कैलेंडर
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Maharaja Agrasen Jayanti 2023: महाराजा अग्रसेन त्याग, अहिंसा, शांति व समृद्धि के लिए एक सच्चे समाजसेवी तथा अवतार थे। इनका जन्म प्रतापनगर के राजा वल्लभ के घर हुआ था। उस समय द्वापर युग का अंतिम चरण था। वर्तमान कैलेंडर अनुसार महाराजा अग्रसेन जी का जन्म लगभग 5185 वर्ष पहले हुआ था। इन्होंने बचपन से ही वेदों, शास्त्रों, अस्त्र-शस्त्र, राजनीति व अर्थनीति आदि का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। सभी क्षेत्रों में काबिल होने के बाद अग्रसेन जी का विवाह नागों के राजा कुमुद की पुत्री माधवी से हुआ।
राज वल्लभ ने संन्यास लेकर अग्रसेन जी को राज्य का काम सौंप दिया। अग्रसेन जी ने निपुणता से राज्य का संचालन किया तथा राज्य का विस्तार करते हुए प्रजा के हितों के लिए काम किया।
ये धार्मिक प्रवृत्ति के मालिक थे। धर्म में उनकी गहरी रूचि थी। वह परमात्मा में विश्वास रखते थे। इसलिए उन्होंने अपने जीवन में कई बार देवी लक्ष्मी जी से यह वरदान हासिल किया कि जब तक उनके कुल में लक्ष्मी देवी की आराधना होती रहेगी तब तक अग्रकुल धन-सम्पदा से खुशहाल रहेगा।
देवी महालक्ष्मी जी के आशीर्वाद से राजा अग्रसेन ने नए राज्य के लिए रानी माधवी के साथ भारत यात्रा की तथा अग्रोहा नगर बसाया। आगे चलकर अग्रोहा कृषि व व्यापार के पक्ष से एक प्रसिद्ध स्थान बन गया। महाराजा अग्रसेन जी ने राज्य व प्रजा की भलाई के लिए 18 हवन किए। उनके 18 पुत्र पैदा हुए। उनके नाम से ही अग्रवाल समाज के 18 गोत्र बने।
आज अग्रवाल समाज ने ही हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेंदु हरीश चंद्र, पंजाब केसरी लाला लाजपत राय, सर गंगा राम, डा. भगवान दास, सर शादी लाल, हनुमान प्रसाद पोद्दार, डा. राम मनोहर लोहिया जैसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी व कमलापति सिंघानिया जैसे प्रसिद्ध उद्योगपति भारतीय समाज को प्रदान किए हैं। आज भी 18 गोत्र के अग्रवंशी भारत में ही नहीं, सारे विश्व में जाने जाते हैं। सारे ही महाराजा अग्रसेन जी की नीतियों पर चलते हैं तथा समाज सेवा के क्षेत्र में सबसे आगे हैं।