Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Nov, 2024 09:18 AM
Maharaja Ranjit Singh conquer: महाराजा रणजीत सिंह के काल में शहरों की आबादी बढ़ने के कई कारण थे। जहां कहीं नए किले बनते और सुरक्षा का अच्छा प्रबंध होता, वहां के आसपास के गांवों के लोग किले के आसपास आबाद हो जाते जैसे कि फिल्लौर का किला बना और यहां...
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Maharaja Ranjit Singh conquer: महाराजा रणजीत सिंह के काल में शहरों की आबादी बढ़ने के कई कारण थे। जहां कहीं नए किले बनते और सुरक्षा का अच्छा प्रबंध होता, वहां के आसपास के गांवों के लोग किले के आसपास आबाद हो जाते जैसे कि फिल्लौर का किला बना और यहां नगर आबाद हो गया। कई बार अन्य कारण भी इसके साथ मिल जाते हैं। अटक नगर की आबादी में एक बड़ी शाहराह (शाह मार्ग) होने और किला होने के कारण इसका विस्तार हुआ। व्यापार और उद्योग की उन्नति के कारण नगरों की आबादी में विस्तार होता गया जैसे कि अमृतसर के उद्योग में विस्तार होना था।
Planned town Wazirabad योजनाबद्ध नगर वजीराबाद : पाकिस्तान में मौजूदा गुजरांवाला की उत्तर-पश्चिमी दिशा में एक मील की दूरी पर दरिया चनाब के किनारे स्थित वजीराबाद 17वीं सदी के मध्य में यह राजसी कारणों से उजड़ गया था। 1801 ई. में यह महाराजा रणजीत सिंह के अधीन हुआ और इसकी आबादी में विस्तार होने लगा।
दिसम्बर 1829 ई. में महाराजा रणजीत सिंह ने अपने इटैलियन जनरल अवीतबेला को वजीराबाद का गवर्नर नियुक्त किया, जिसने वजीराबाद नगर की योजनाबंदी कर इसे एक नई किस्म का नगर बना दिया। वजीराबाद उद्योग का भी केंद्र था। यह पुननिर्मित शहर अंग्रेजों ने इतना पसंद किया कि वजीराबाद को ही सारे इलाके की राजधानी बना दिया। इस इलाके में सियालकोट, गुजरांवाला और कुछ इलाके लाहौर जिले के भी आते थे। फिर 1852 ई. में वजीराबाद गुजरांवाला जिले की तहसील का केंद्र बनाया गया।
The cheerful city of Gujranwala प्रफुल्लित नगर गुजरांवाला : जरनैली सड़क पर पंजाब की पुरानी राजधानी लाहौर से 42 मील उत्तरी-पश्चिमी दिशा में स्थित गुजरांवाला प्रफुल्लित नगर था। महाराजा रणजीत सिंह के दादा सरदार चढ़त सिंह ने यह नगर और पुराने गांव खानपुर सांसी के पास कुएं के साथ लगता गांव आबाद किया। इस कुएं को ‘गुजरां दा खूह’ (गुजरों का कुआं) कहते थे जिसका नाम ‘गुजरां दा खूह’ होने के कारण ‘गुजरांवाला’ पड़ गया। महाराजा रणजीत सिंह ने इस इलाके को बहुत प्रफुल्लित किया।
Amritsar अमृतसर : अमृतसर की उन्नति में महाराजा रणजीत सिंह ने विशेष रुचि दिखाई। महाराजा रणजीत सिंह ने अमृतसर को व्यापार का एक बड़ा केंद्र बनाया। यह पंजाब का बड़ा शहर है। सारे पंजाब की दौलत यहां एकत्रित हुई लगती है। अमृतसर पंजाब में से सबसे अधिक रौनक वाला शहर है।
अमृतसर शहर की मौजूदा प्रफुल्लता महाराजा रणजीत सिंह द्वारा इस शहर को प्रफुल्लित करने के यत्नों के परिणामस्वरूप है। महाराजा रणजीत सिंह से पहले अमृतसर शहर अलग-अलग मिसलों में बंटा हुआ था। ये मिसलदार अपने-अपने इलाके से कर वसूली किया करते थे।
महाराजा रणजीत सिंह के अधीन आने से शहर एक प्रशासक के अधीन आ गया। महाराजा ने अमृतसर को अपनी गर्मियों की राजधानी बनाया। वे खुद तीन-चार महीने यहां पर रहा करते थे, जिस कारण इस शहर की रौनक बढ़ी। वे यूरोपियन यात्रियों का इसी नगर में स्वागत किया करते थे जिस कारण इस नगर को प्रफुल्लता मिली।
महाराजा रणजीत सिंह ने गोबिंदगढ़ किला और अपने रहने का महल एवं बाग (राम बाग) अमृतसर में बनवाया। उनके दरबारियों ने भी अपने निवास के लिए बहुत से कटरा आबाद किए जो अब तक उनके नाम से प्रचलित हैं जैसे कि कटरा भाई संत सिंह, ढाब भाई वसती राम आदि।