Edited By Prachi Sharma,Updated: 14 Feb, 2025 06:51 AM
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हाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव की आराधना का विशेष दिन होता है। यह दिन विशेष रूप से भक्तों के लिए एक पवित्र और आध्यात्मिक अवसर होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा
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Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव की आराधना का विशेष दिन होता है। यह दिन विशेष रूप से भक्तों के लिए एक पवित्र और आध्यात्मिक अवसर होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा और उपवास रखने से भक्तों को पुण्य मिलता है और वे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं। महाशिवरात्रि का पर्व हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 को पड़ रही है। यह दिन विशेष रूप से उपवास, व्रत, और शिव जी की पूजा अर्चना के लिए समर्पित होता है। इस दिन रात्रि के चार प्रहरों में विशेष पूजा की जाती है, जिनमें भगवान शिव की आराधना से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि के इस विशेष दिन की पूजा विधि, रात्रि के चार प्रहर की पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से।
Mahashivratri Vrat Date महाशिवरात्रि व्रत तिथि 2025
पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी को रखा जाएगा। जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है उसका जीवन खुशियों से भर जाता है। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। वैवाहिक जीवन में खुशियों को दोगुना करने के लिए भी ये व्रत बेहद खास होता है।
महाशिवरात्रि व्रत में रात्रि 4 प्रहर की पूजा के शुभ मुहूर्त
पहला प्रहर शाम को 6 बजकर 19 मिनट से रात को 9 बजकर 26 मिनट तक
दूसरा प्रहर रात को 9 बजकर 26 मिनट से 27 फरवरी सुबह 12 बजकर 34 मिनट तक
तीसरा प्रहर 27 फरवरी को रात 12 बजकर 34 मिनट से 3 बजकर 41 मिनट तक
चौथा और आखिरी प्रहर 27 फरवरी को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से 6 बजकर 48 मिनट तक
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Mahashivratri puja method महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन पूजा करने की विशेष विधि होती है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए और फिर भगवान शिव का ध्यान करके उपवास का संकल्प करना चाहिए। महाशिवरात्रि का उपवास विशेष रूप से कठिन होता है लेकिन यह उपवास बहुत पुण्यकारी माना जाता है।
शिवलिंग की पूजा में सबसे पहले उसे जल से शुद्ध करना चाहिए, फिर गंगा जल, दूध, शहद, बेलपत्र, और धतूरा अर्पित करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जाप और आराधना की जाती है। पूजा में विशेष रूप से ॐ नमः शिवाय का जाप करना लाभकारी होता है।
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