Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Feb, 2025 04:11 PM
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Mahashivratri 2025: 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व है। जो भगवान शिव की पूजा का विशेष अवसर होता है। महाशिवरात्रि का पर्व एक अद्भुत पर्व है, जब व्यक्ति अपने भीतर की गहरी ऊर्जा को महसूस कर सकता है और जीवन की सच्ची दिशा और उद्देश्य को समझ सकते हैं।
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Mahashivratri 2025: 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व है। जो भगवान शिव की पूजा का विशेष अवसर होता है। महाशिवरात्रि का पर्व एक अद्भुत पर्व है, जब व्यक्ति अपने भीतर की गहरी ऊर्जा को महसूस कर सकता है और जीवन की सच्ची दिशा और उद्देश्य को समझ सकते हैं। यह रात एक आंतरिक यात्रा का प्रारंभ है, जो हमें आत्मज्ञान, शांति और असीम शक्ति की ओर ले जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में महाशिवरात्रि पर भद्रा लगने जा रही है। शास्त्रों के मुताबिक उसे अमंगलकारी माना गया है।
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Who is bhadra कौन है भद्रा ?
कृत्य कृत्य के उद्देश्य से स्वर्ग निवासिनी, पाताल निवासिनी भद्रा समस्त कार्यों में शुभदायी तथा पृथ्वी वासिनी भद्रा समस्त कार्यों की नाशक और कष्टप्रद होती है। भद्रा में अनेक काम और अनेक पर्व मनाना वर्जित कहे गए हैं। प्रत्येक पंचांग और कैलेंडर में भद्रा के प्रारंभ होने व समाप्त होने का समय उल्लिखित रहता है। उसका अनुसरण करते हुए निज-कार्य में प्रवृत्त होना चाहिए। स्वर्ग और पाताल में वास करने वाली भद्रा का 67 प्रतिशत समय पूर्ण भद्राकाल में से शुभ है, इसमें कार्य किए जा सकते हैं। शनिवासरीय वृश्चिकी भद्रा को छोड़कर देखें तो दिन के हिसाब से 85.7 प्रतिशत भद्रा शुभ रहती है।
शास्त्र "मुहूर्त गणपति" अनुसार पूर्वकाल में देवासुर युद्ध में महादेव के अंग से भद्रा उत्पन्न हुई। दैत्यों के संहार हेतु गर्दभ के मुख व लंबी पूंछ वाली भद्रा तीन पैरों वाली है। सिंह जैसी गर्दन, शव पर आरूढ़, सात हाथों व शुष्क उदर वाली, भयंकर, विकरालमुखी, पृथुदृष्टा तथा समस्त कार्यों को नष्ट करने वाली अग्नि ज्वाला युक्त यह भद्रा देवताओं की भेजी हुई प्रकट हुई है। ‘श्रीपति’ के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि रविवार को मूल नक्षत्र, शूलयोग में रात्रि में भद्रा का उद्भव भगवान शंकर के शरीर से हुआ। महाभारत के युद्ध के बीच धर्मराज युधिष्ठिर के प्रश्न करने पर भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर देते हुए कहा भद्रा सूर्य व छाया से उत्पन्न शनि की बहन है जो थोड़े से पूजन-अर्चन से संसार के प्राणियों का अनिष्ट दूर कर उनका भला करती है। भगवान श्री कृष्ण ने भद्रा के बारह रुप इस प्रकार बताए हैं। 1. धन्या, 2. दधिमुखी, 3. भद्रा, 4. महामारी, 5. खर-आनना, 6. कालरात्रि, 7. महारुद्रा, 8. विष्टि, 9. कुल पुत्रिका, 10. भैरवी, 11. महाकाली, 12. असुर-क्षयकारी
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When is mahashivratri कब है महाशिवरात्रि ?
महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाए जाने का विधान है। इस बार वर्ष 2025 में 26 फरवरी की सुबह 11.08 बजे से चतुर्दशी तिथि का आरंभ होगा और 27 फरवरी की सुबह 08.54 बजे समाप्त होगी।
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When will Bhadra occur on Mahashivratri महाशिवरात्रि पर कब लगेगी भद्रा ?
26 फरवरी को चतुर्दशी तिथि के आरंभ के साथ ही सुबह 11.08 बजे भद्रा का प्रभाव आरंभ हो जाएगा। यह बुरा साया रात 10.05 बजे तक रहने वाला है। भद्रा का वास पाताल लोक में रहेगा, इस दौरान कुछ भी अच्छा करने पर शास्त्रों की मनाही है।
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