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Mahashivratri Puja Samagri: महाशिवरात्रि की पूजा में कौन सी वस्तुओं को अवश्य शामिल करना चाहिए, जानें शिव पूजा की शास्त्रीय विधि

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Feb, 2025 03:21 PM

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Maha Shivratri 2025 Puja Samagri List: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा का अत्यधिक महत्व है। इस दिन को समर्पित पूजा विधि और सामग्री के बारे में शास्त्रों में कई विशिष्ट निर्देश दिए गए हैं। महाशिवरात्रि पर पूजा विधि न केवल व्यक्ति के मानसिक और...

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Maha Shivratri 2025 Puja Samagri List: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा का अत्यधिक महत्व है। इस दिन को समर्पित पूजा विधि और सामग्री के बारे में शास्त्रों में कई विशिष्ट निर्देश दिए गए हैं। महाशिवरात्रि पर पूजा विधि न केवल व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक शुद्धिकरण के लिए होती है, बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व भी है क्योंकि यह दिन भगवान शिव के विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने का सर्वोत्तम अवसर माना जाता है।

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Items that must be included in the puja on Mahashivratri महाशिवरात्रि पर पूजा में अवश्य शामिल करने वाली वस्तुएं:
शिवलिंग: भगवान शिव की पूजा में सबसे महत्वपूर्ण वस्तु शिवलिंग है। शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पर पूजा करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। शिवलिंग के सामने पूजा करना सर्वोत्तम माना जाता है।

गंगाजल: गंगाजल का महत्व बहुत अधिक है क्योंकि यह पवित्र और शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।

बेलपत्र: बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। शास्त्रों में बेलपत्र को भगवान शिव की पूजा में सबसे अहम सामग्री माना गया है। बेलपत्र पर “ॐ नमः शिवाय” लिखकर अर्पित करने से पूजा का फल अधिक मिलता है।

दूध, दही, घी, शहद और शक्कर: इन पांच पदार्थों का मिश्रण जो "पञ्चामृत" के नाम से जाना जाता है, भगवान शिव पर अर्पित करना चाहिए। यह मिश्रण पवित्रता और भक्ति को दर्शाता है। पञ्चामृत से शिवलिंग का अभिषेक करने से विशेष पुण्य लाभ मिलता है।

कपूर और धूप: महाशिवरात्रि पर कपूर जलाना और विशेष धूप अर्पित करना पुण्य और तात्त्विक उन्नति का प्रतीक है। कपूर से वातावरण शुद्ध होता है और यह रात्रि के समय पूजा को दिव्य बनाता है।

मूलिकाय (बघलमाल): यह एक प्रकार की जड़ी-बूटी होती है, जो विशेष रूप से शिव पूजा में प्रयुक्त होती है। इसे भगवान शिव के ध्यान में लाने से अधिक लाभ होता है।

चंदन: चंदन का तिलक करना या शिवलिंग पर चंदन अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि यह शीतलता और मानसिक शांति का प्रतीक है।

कमल के फूल: कमल का फूल भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है और इसे शिवलिंग पर अर्पित करना शुभ फलदायक माना जाता है।

फल और मिठाइयां: पूजा के समय विभिन्न प्रकार के फल और मिठाइयां अर्पित करना अच्छा रहता है क्योंकि यह भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। खासकर अनार, केला, नारियल और ताजे फल अर्पित करें।

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Classical method of worship of Mahashivratri महाशिवरात्रि की शास्त्रीय पूजा विधि:
गंगा जल से स्नान करें:
महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा जल से स्नान करना आवश्यक है, ताकि शरीर और मन दोनों शुद्ध हो सकें। स्नान करने के बाद शुद्ध वस्त्र पहनें और भगवान शिव की पूजा के लिए तैयार हो जाएं।

शिवलिंग की स्थापना: पूजा की शुरुआत शिवलिंग की स्थापना से करें। यदि घर में शिवलिंग नहीं है तो मिट्टी या अन्य पवित्र सामग्री से शिवलिंग का आकार बनाकर उसकी पूजा कर सकते हैं। ध्यान रखें कि यह स्थान स्वच्छ और शांत होना चाहिए।

शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक: सबसे पहले शिवलिंग पर पवित्र जल या गंगाजल अर्पित करें। उसके बाद पञ्चामृत (दूध, दही, घी, शहद और शकर का मिश्रण) से अभिषेक करें। फिर बेलपत्र, चंदन और फल अर्पित करें। अंत में भगवान शिव को प्रिय वस्त्र और सामग्री अर्पित करनी है।

मंत्र जाप: पूजा के दौरान “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते रहें। यह मंत्र विशेष रूप से महाशिवरात्रि की पूजा में प्रभावी होता है। इसके साथ-साथ महा-मृत्युंजय मंत्र का जाप भी करें:

महा मृत्युंजय मंत्र:
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”

जागरण और ध्यान: रात्रि के समय पूजा के साथ-साथ जागरण का विशेष महत्व है। चारों पहरों में पूजा और मंत्र जाप करना चाहिए, जिससे शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हर पहर के दौरान ध्यान और शिव के स्वरूप का ध्यान करें।

दीप और कपूर जलाना: पूजा स्थल पर दीपक जलाएं और कपूर से वातावरण को शुद्ध करें। महाशिवरात्रि की रात को यह बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि कपूर वातावरण को दिव्य और पवित्र बनाता है।

पानी, फल, और बेलपत्र अर्पित करना: रात्रि के दौरान शिवलिंग पर पानी और फल अर्पित करते रहें। प्रत्येक पहर में बेलपत्र अर्पित करें और शिव का ध्यान करते रहें।

रात्रि का समापन: रात्रि के अंत में भगवान शिव की आरती करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।

ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा दें: पूजा के बाद किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें। यह कार्य पुण्य के लिए किया जाता है।

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Special worship method on the day of Mahashivratri महाशिवरात्रि के दिन की विशेष पूजा विधि:
रात्रि का उपवासी रहना: महाशिवरात्रि के दिन उपवासी रहना शास्त्रों में अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह उपवास भगवान शिव की भक्ति और समर्पण का प्रतीक होता है।

चार पहर का जागरण और पूजा: रात के चार पहरों में से प्रत्येक पहर में पूजा करना आवश्यक है। यह पूजा श्रद्धा, समर्पण और जागरण का एक अभूतपूर्व अवसर होता है।

महाशिवरात्रि की पूजा की विधि और सामग्री का सही पालन करने से भगवान शिव के आशीर्वाद प्राप्त होते हैं और जीवन में समृद्धि, सुख, और शांति का अनुभव होता है। यह दिन भगवान शिव की विशेष कृपा और आत्मिक शुद्धि के लिए सर्वोत्तम है।

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