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Mahashivratri vrat vidhi: इस विधि से रखें महाशिवरात्रि व्रत, मिलेगा पुण्य लाभ

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Feb, 2025 06:54 AM

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Mahashivratri vrat vidhi 2025: महाशिवरात्रि व्रत को शास्त्रीय विधि से रखने के कुछ गहरे और पारंपरिक तरीके होते हैं, इन विधियों में आस्था, अनुशासन और भगवान शिव के प्रति श्रद्धा का मिश्रण होता है। इन विधियों से महाशिवरात्रि व्रत शास्त्रीय रूप से सशक्त...

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Mahashivratri vrat vidhi 2025: महाशिवरात्रि व्रत को शास्त्रीय विधि से रखने के कुछ गहरे और पारंपरिक तरीके होते हैं, इन विधियों में आस्था, अनुशासन और भगवान शिव के प्रति श्रद्धा का मिश्रण होता है। इन विधियों से महाशिवरात्रि व्रत शास्त्रीय रूप से सशक्त और प्रभावी बनता है और यह व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख और समृद्धि का संचार करता है।

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Mahashivratri 2025 Fasting Rules यहां कुछ शास्त्रीय तरीकों का वर्णन किया जा रहा है:
तपस्या और उपवास का महत्त्व: महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्तों को पूरे दिन उपवास करने की परंपरा है लेकिन यह उपवास शास्त्रों के अनुसार बारीकी से करना चाहिए। यह उपवास केवल भोजन का त्याग नहीं होता, बल्कि मानसिक शुद्धता और एकाग्रता की ओर भी एक कदम होता है। कुछ लोग फलाहार करते हैं, जबकि कुछ निराहार व्रत रखते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन विशेष रूप से तामसिक भोजन (मांसाहार, प्याज, लहसुन) का त्याग करना चाहिए।

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प्राणायाम और ध्यान: महाशिवरात्रि पर प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, शिव के ध्यान के लिए विशेष ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है। विशेषकर उज्जायी प्राणायाम और अनुलोम-विलोम के अभ्यास से शिव के आशीर्वाद को प्राप्त किया जा सकता है।

रात्रि का जागरण: महाशिवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है रात्रि का जागरण। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन रात भर शिव का ध्यान, जाप और पूजा की जाती है। रात्रि भर जागरण का उद्देश्य मन और आत्मा को शुद्ध करना होता है। यह एक प्रकार से तपस्या का रूप है।

शिवलिंग का पूजन: शिवलिंग का पूजन शास्त्रीय विधि से किया जाता है। सबसे पहले लिंग का शुद्धिकरण करना आवश्यक है, फिर गंगाजल, दूध, शहद, दही और जल से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद बेल पत्र, आक के फूल और ताजे फल चढ़ाए जाते हैं। पूजा के समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।

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व्रत का संकल्प: महाशिवरात्रि का व्रत शास्त्रों में विशेष रूप से संकल्प के साथ शुरू होता है। भक्त को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ संकल्प लेना होता है कि वह पूरे दिन व्रत रखेगा और शिव के प्रति अपनी भक्ति को और गहरा करेगा।

नाद और संगीत: महाशिवरात्रि के दिन विशेष रूप से शिव के रुद्राक्ष की माला का जाप किया जाता है। इसके साथ ही "रुद्र अष्टक्शल्श" का पाठ और "महाशिवरात्रि स्तोत्र" का भी जाप किया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव के नाम का जाप आत्मा को शांति और तात्त्विक उन्नति प्रदान करता है।

व्रत का पारंपरिक आचार: महाशिवरात्रि पर पारंपरिक रूप से आचार्य द्वारा बताई गई पूजा विधियों का पालन करना चाहिए। यह विधि कई बार परिवार में बुजुर्गों से भी सिखाई जाती है, जिसमें हर कोई शिव को प्रसन्न करने के लिए संकल्प करता है और हर कर्म को पूरी निष्ठा से करता है।

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