Edited By Jyoti,Updated: 28 Apr, 2022 10:38 AM
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एक किसान भगवान बुद्ध के पास आया और बोला, ‘‘महाराज, मैं एक साधारण किसान हूं। बीज बोकर, हल चला कर अनाज उत्पन्न करता हूं और तब उसे ग्रहण करता हूं किन्तु इससे मेरे मन को तसल्ली नहीं मिलती।
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एक किसान भगवान बुद्ध के पास आया और बोला, ‘‘महाराज, मैं एक साधारण किसान हूं। बीज बोकर, हल चला कर अनाज उत्पन्न करता हूं और तब उसे ग्रहण करता हूं किन्तु इससे मेरे मन को तसल्ली नहीं मिलती।
मैं कुछ ऐसा करना चाहता हूं जिससे मेरे खेत में अमरत्व के फल उत्पन्न हों। आप मेरा मार्गदर्शन करें, जिससे मेरे खेत में अमरत्व के फल उत्पन्न होने लगें।’’ बात सुनकर बुद्ध मुस्कराकर बोले, ‘‘भले व्यक्ति, तुम्हें अमरत्व का फल तो अवश्य मिल सकता है किन्तु इसके लिए तुम्हें खेत में बीज न बोकर अपने मन में बीज बोने होंगे?’’ यह सुनकर किसान हैरानी से बोला, ‘‘प्रभु आप यह क्या कह रहे हैं? भला मन में बीज बोकर भी फल प्राप्त हो सकते हैं।’’
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बुद्ध बोले, ‘‘बिल्कुल हो सकते हैं और इन बीजों से तुम्हें जो फल प्राप्त होंगे वे साधारण न होकर अद्भुत होंगे जो तुम्हारे जीवन को भी सफल बनाएंगे और तुम्हें नेकी की राह दिखाएंगे।’’
किसान ने कहा, ‘‘प्रभु, तब तो मुझे अवश्य बताइए कि मैं मन में बीज कैसे बोऊं?’’
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बुद्ध बोले, ‘‘तुम मन में विश्वास के बीज बोओ, विवेक का हल चलाओ, ज्ञान के जल से उसे सींचो और उसमें नम्रता की उवर्रक डालो। इससे तुम्हें अमरत्व का फल प्राप्त होगा। उसे खाकर तुम्हारे सारे दुख दूर हो जाएंगे और उन्हें असीम शांति का अनुभव होगा।’’
बुद्ध से अमरत्व के फल की प्राप्ति की बात सुनकर किसान की आंखें खुल गईं। वह समझ गया कि अमरत्व का फल सद्विचारों के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।