Edited By Sarita Thapa,Updated: 02 Mar, 2025 12:35 PM
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Mahatma Buddha story: एक बार भगवान बुद्ध के एक शिष्य ने उनसे पूछा, “क्या इस चट्टान पर किसी का शासन संभव है?” बुद्ध ने कहा, “पत्थर से कई गुना शक्ति लोहे में होती है, इसलिए लोहा पत्थर को तोड़कर टुकड़े-टुकड़े कर देता है।”
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Mahatma Buddha story: एक बार भगवान बुद्ध के एक शिष्य ने उनसे पूछा, “क्या इस चट्टान पर किसी का शासन संभव है?” बुद्ध ने कहा, “पत्थर से कई गुना शक्ति लोहे में होती है, इसलिए लोहा पत्थर को तोड़कर टुकड़े-टुकड़े कर देता है।”
फिर शिष्य ने पूछा, “लोहे से भी कोई वस्तु श्रेष्ठ होगी?” बुद्ध ने कहा, “क्यों नहीं। अग्नि है जो लोहे के अहं को गलाकर द्रव रूप में बना देती है।”
इस पर शिष्य ने कहा, “क्या अग्नि की विकराल लपटों के सम्मुख किसी की चल सकती है?”
बुद्ध ने कहा, “केवल जल ही है जो आग को शीतल कर सकता है।” फिर शिष्य ने पूछा, “जल से टकराने की फिर किसमें ताकत होगी? प्रतिवर्ष बाढ़ तथा ज्यादा वर्षा से जन और धन की अपार हानि होती है।”
फिर बुद्ध ने समझाया, “ऐसा क्यों सोचते हो वत्स। इस संसार में एक से एक शक्तिशाली पड़े हैं। वायु का प्रवाह जल धारा की दिशा बदल देता है। संसार का प्रत्येक प्राणी वायु के महत्व को जानता है, क्योंकि इसके बिना उसके जीवन का महत्व ही क्या है?”
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शिष्य ने इसके बाद फिर पूछा, “जब वायु ही जीवन है फिर इससे अधिक महत्वपूर्ण वस्तु के होने का प्रश्न ही नहीं उठता।”
अब भगवान बुद्ध को हंसी आ गई। उन्होंने कहा, “मनुष्य की संकल्प शक्ति द्वारा वायु भी वश में हो जाती है, मानव की यह शक्ति ही सबसे बड़ी है।” बुद्ध का जवाब सुनकर शिष्य संतुष्ट हो गया।
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