Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Apr, 2024 10:17 AM
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ज्योतिराव फुले 19वीं शताब्दी के एक महान समाज सुधारक थे। डॉक्टर अम्बेडकर ने इन्हें अपना गुरु माना। उनका जन्म 11 अप्रैल, 1827 को पुणे में एक माली परिवार में हुआ, जो फूल उगाते व बेचते थे। 1848 में
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Mahatma Jyotiba Phule Jayanti 2024: ज्योतिराव फुले 19वीं शताब्दी के एक महान समाज सुधारक थे। डॉक्टर अम्बेडकर ने इन्हें अपना गुरु माना। उनका जन्म 11 अप्रैल, 1827 को पुणे में एक माली परिवार में हुआ, जो फूल उगाते व बेचते थे। 1848 में उच्च जाति के परिवार के एक दोस्त ने उन्हें अपनी शादी में आमंत्रित किया परन्तु जब निम्न जाति के ज्योतिराव फुले को दोस्त के माता-पिता ने देखा तो उनका बहुत निरादर किया और धक्के मारकर उनको वहां से निकाल दिया। इस घटना ने ज्योतिराव फुले के जीवन की दशा बदल दी। उनको पहली बार इस बात का अनुभव हुआ कि निम्न जाति के लोगों का समाज में क्या स्थान है।
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गहन सोच-विचार के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि समाज के कुछ तबके बहुत पिछड़े हुए हैं, जिनका सुधार केवल शिक्षा के प्रचार-प्रसार से हो सकता है। वह धर्मपत्नी सावित्रीबाई के साथ शिक्षा के प्रसार में लग गए। 1848 में उन्होंने पुणे में लड़कियों की शिक्षा के लिए स्कूल खोलने शुरू किए।
फुले ने अपने पैतृक व्यवसाय को और बढ़ाया तथा उनकी पहचान पुणे के धनी व्यक्तियों में हो गई। वह पुणे के कमिश्नर भी चुने गए और इस पद पर कई वर्षों तक रहे। फिर उन्होंने एक बिल्डर का काम भी आरंभ कर दिया।
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वह मानते थे कि धन तभी लाभकारी है जब यह समाज का भला करे, इसलिए उन्होंने अपना सारा धन समाज-सुधार में अर्पित कर दिया। उन्होंने लड़कियों के लिए कई और स्कूल खोले तथा अंधविश्वास के विरोध में एक अभियान चलाया। महात्मा फुले एक बहुत बड़े लेखक थे। उन्होंने समाज सुधार को केंद्र-बिंदू बनाकर कई पुस्तकें लिखीं। ये सब मराठी भाषा में थीं। इनका बाद में कई भाषाओं में अनुवाद हुआ और समाज के भिन्न वर्गों में एक नई चेतना का संचार हुआ।
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