Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Jun, 2022 08:54 AM
आज महेश नवमी का शुभ पर्व है। मान्यता के अनुसार इस रोज माहेश्वरी समाज का जन्मदिन है। लोक किवंदती के अनुसार माहेश्वरी समाज प्राचीनकाल में क्षत्रिय वंश से ही संबंध रखता था लेकिन उनके पूर्वजों से हुई भूल के
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Mahesh Navami 2022: आज महेश नवमी का शुभ पर्व है। मान्यता के अनुसार इस रोज माहेश्वरी समाज का जन्मदिन है। लोक किवंदती के अनुसार माहेश्वरी समाज प्राचीनकाल में क्षत्रिय वंश से ही संबंध रखता था लेकिन उनके पूर्वजों से हुई भूल के कारण ऋषियों ने उन्हें श्राप दे दिया था। आज ही के दिन भगवान शिव के महिष रूप, जिन्हें महेश कहा जाता है। उन्होंने उन्हें श्राप के प्रभाव से मुक्ति दिलवाई थी और अपना नाम दिया था। भगवान महेश से आज्ञापत्र प्राप्त होने के बाद माहेश्वरी समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म का त्याग कर दिया था। उसके उपरांत उन्होंने वैश्य अथवा व्यापारिक कामों को अपनाया। वैसे तो ये पर्व संपूर्ण भारत में अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुरूप मनाए जाने का विधान है लेकिन माहेश्वरी समाज द्वारा इसे खूब धूमधाम और जश्न के साथ मनाया जाता है।
Mahesh Navami 2022 Significance and Upay: महेश नवमी पर भगवान शिव के पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। वैसे तो इस दिन व्रत रखे जाने का विधान है। अगर उपवास नहीं रख सकते तो पूजा, मंत्र और कुछ खास उपाय करके भगवान शिव को प्रसन्न कर मनोवांछित इच्छाएं पूरी की जा सकती हैं। इन उपायों से आपके घर में धन की बरसात होगी, धान्य की कभी कमी नहीं होगी।
Mahesh navami 2022 upay: शिवालय जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें। इससे स्वभाव शांत होता है, क्रोध पर नियंत्रण रहता है।
सुख और समृद्धि में वृद्धि के लिए शिवलिंग पर शक्कर से अभिषेक करें। जीवन से दरिद्रता का सदा के लिए नाश होगा।
सौम्यता बनाए रखने के लिए शिवलिंग पर केसर अर्पित करें।
शिवलिंग पर इत्र लगाने से विचार पवित्र और शुद्ध होते हैं।
शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से बीमारियां दूर रहती हैं, गंभीर और असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।
भगवान शिव को दही अर्पित करने से जीवन में आने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
शिवलिंग पर घी अर्पित करने से शक्ति में वृद्धि होती है।
भगवान शिव को चंदन अर्पित करने से व्यक्तित्व आकर्षक होता है।
शिवलिंग पर शहद चढ़ाने से वाणी में मिठास आती है।
भगवान शिव को भांग अर्पित करने से बुराईयों का नाश होता है।
भारतीय शास्त्रों में बिल्वपत्र को भगवान शंकर की तीसरी आंख बताया गया है। उन्हें यह बहुत प्रिय है, अगर पूजा करने में बिल्वपत्र का प्रयोग किया जाए तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।