Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 May, 2023 09:20 AM
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हिन्दू पंचांग के अनुसार 29 मई को महेश नवमी है। यह हर वर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि
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Mahesh Navami 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार 29 मई को महेश नवमी है। यह हर वर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाताी है। इस दिन सृष्टि के रचियता भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि महेश नवमी का व्रत करने से विवाहितों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहितों की शीघ्र शादी के योग बनते हैं। अतः साधक भगवान शिव की श्रद्धा पूर्वक पूजा उपासना करते हैं। अगर आप भी भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो महेश नवमी के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। साथ ही मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होती है।
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Importance of worshiping Mahesh Navami महेश नवमी की पूजा का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति महेश नवमी वाले दिन पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करता है या फिर किसी शिव धाम पर जाकर दर्शन करता है तो उसके जीवन से जुड़े सभी दुख दूर और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। महेश नवमी के दिन भगवान शिव के रुद्राभिषेक का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। मान्यता है कि श्रद्धा और विश्वास के साथ शिव का पावन अभिषेक करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं।
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Mahesh Navami Puja Muhurat महेश नवमी पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार नवमी तिथि 28 मई को सुबह 09 बजकर 56 मिनट पर शुरू होकर 29 मई को सुबह 11 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। 29 मई को प्रातः काल और संध्याकाल में देवों के देव महादेव की पूजा उपासना के लिए उत्तम समय है।
Mahesh Navami Puja vidhi महेश नवमी पूजा विधि
महेश नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव का स्मरण कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। इसके बाद नए स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान शिव जी, माता पार्वती की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध, दही और पंचामृत से करें। इस दौरान शिव चालीसा का पाठ और मंत्रों का जाप जरूर करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।
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वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड राष्ट्रीय गौरव रत्न से विभूषित
पंडित सुधांशु तिवारी
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