Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Jan, 2023 07:35 AM
मकर संक्रान्ति से उत्तरायण का प्रारम्भ होता है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय मून्दड़ी कैथल के ज्योतिष विभाग के ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन शर्मा ने बताया कि इस बार मकर संक्रान्ति
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Makar Sankranti 2023: मकर संक्रान्ति से उत्तरायण का प्रारम्भ होता है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय मून्दड़ी कैथल के ज्योतिष विभाग के ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन शर्मा ने बताया कि इस बार मकर संक्रान्ति का पुण्यकाल 15 जनवरी को होगा क्योंकि सूर्य 14 जनवरी (माघ कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि) शनिवार को रात्रि 20:44 पर मकर राशि में प्रवेश करेगा। ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति पर त्रिग्रही (सूर्य, शुक्र, शनि) योग भी बन रहा है। त्रिग्रही योग में दान पुण्य अधिक फलदायी होता है। डॉ. नवीन शर्मा ने बताया कि यदि सूर्य संक्रान्ति सूर्यास्त के बाद आती है तो पुण्यकाल दूसरे दिन होता है। अतः 15 जनवरी को रविवार के दिन मकर संक्रान्ति का पुण्यकाल विशेष लाभकारी होगा। रविवार को ही यह पर्व आना और भी शुभता को बढ़ाने वाला होता है।
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15 जनवरी को सूर्योदय से दोपहर 12:45 तक स्नान, दान, यज्ञ आदि हेतु सर्वोत्तम पुण्यकाल का लाभ अवश्य उठाना चाहिए। परिस्थिति वश जो इस पुण्यकाल में स्नान आदि न कर पाएं। वे इसके बाद भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि मकर संक्रान्ति से ही अयन का परिवर्तन होता है और उत्तरायण शुरु हो जाता है। उत्तरायण शुरु होते ही सभी प्रकार के शुभ एवं मंगल कार्य जैसे गृह प्रवेश, प्रतिष्ठा कर्म, विवाह, मुण्डन, उपनयन आदि संस्कार अतीव प्रशस्त माने गए हैं।
इस अवसर पर भगवान सूर्य उदित होकर अपनी उज्ज्वल रश्मियों से तेजपूर्ण आभा से सम्पूर्ण भूमण्डल को प्रकाशित कर यह संदेश देते हैं कि हे मानव ! तू सूर्य की तरह अपना आत्मतेज विकसित कर।
मकर संक्रान्ति के दिन पवित्र नदियों, सरोवरों में स्नान पुण्यदायी होता है व स्तोत्र पाठ, मन्त्र जप, तर्पण, ब्राह्मण भोजन, अनाज, वस्त्र, फल, गुड़, तिल आदि के दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन देवतागण पूजा-पाठ, यज्ञ ग्रहण करने हेतु पृथ्वी पर आते हैं। मकर संक्रान्ति के दिन मनुष्य को अपने जीवन में मन, वचन, कर्म व ईमानदारी और कर्मठता के साथ नई संक्रान्ति लाने का संकल्प करना चाहिए।