Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Jan, 2024 07:38 AM

भारत में मकर संक्रांति के दौरान जनवरी माह में नई फसल का आगमन होता है। इस मौके पर किसान फसल की कटाई के बाद इस त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं। भारत के हर राज्य में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।
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Makar Sankranti celebration: भारत में मकर संक्रांति के दौरान जनवरी माह में नई फसल का आगमन होता है। इस मौके पर किसान फसल की कटाई के बाद इस त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं। भारत के हर राज्य में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।

Pongal पोंगल
पोंगल दक्षिण भारत में विशेषकर तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है। पोंगल विशेष रूप से किसानों का पर्व है। इस मौके पर धान की फसल कटने के बाद लोग खुशी प्रकट करने के लिए पोंगल का त्यौहार मनाते हैं। पोंगल का त्यौहार ’तइ’ नामक तमिल महीने की पहली तारीख यानि जनवरी के मध्य में मनाया जाता है। 3 दिन तक चलने वाला यह पर्व सूर्य और इंद्र देव को समर्पित है। पोंगल के माध्यम से लोग अच्छी बारिश, उपजाऊ भूमि और बेहतर फसल के लिए ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करते हैं। पोंगल पर्व के पहले दिन कूड़ा-कचरा जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी की पूजा होती है और तीसरे दिन पशु धन को पूजा जाता है।
Uttarayan उत्तरायण
उत्तरायण खासतौर पर गुजरात में मनाया जाने वाला पर्व है। नई फसल और ऋतु के आगमन पर यह पर्व 14 और 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस मौके पर गुजरात में पतंग उड़ाई जाती है साथ ही पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जो दुनियाभर में मशहूर है। उत्तरायण पर्व पर व्रत रखा जाता है और तिल व मूंगफली दाने की चक्की बनाई जाती है।
Lohri लोहड़ी
लोहड़ी विशेष रूप से पंजाब में मनाया जाने वाला पर्व है, जो फसलों की कटाई के बाद 13 जनवरी को धूमधाम से मनाया जाता है। इस मौके पर शाम के समय लकड़िया जलाई जाती है और तिल, गुड़ और मक्का अग्नि को भोग के रूप में चढ़ाई जाती है।
Magh/Bhogli Bihu माघ/भोगली बिहू
असम में माघ महीने की संक्रांति के पहले दिन से माघ बिहू यानि भोगाली बिहू पर्व मनाया जाता है। भोगाली बिहू के मौके पर खान-पान धूमधाम से होता है। इस समय असम में तिल, चावल, नरियल और गन्ने की फसल अच्छी होती है। इसी से तरह-तरह के व्यंजन और पकवान बनाकर खाये और खिलाये जाते हैं। भोगाली बिहू पर भी लकड़िया जलाई जाती हैं और तिल व नरियल से बनाए व्यंजन अग्नि देवता को समर्पित किए जाते हैं। भोगली बिहू के मौके पर टेकेली भोंगा नामक खेल खेला जाता है साथ ही भैंसों की लड़ाई भी होती है।
Traditions on Makar Sankranti मकर संक्रांति पर परंपराएं
हिंदू धर्म में मीठे पकवानों के बगैर हर त्यौहार अधूरा सा है। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य मीठे पकवान बनाने की परंपरा है। तिल और गुड़ के सेवन से ठंड के मौसम में शरीर को गर्मी मिलती है और यह स्वास्थ के लिए लाभदायक है। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के मौके पर मीठे पकवानों को खाने और खिलाने से रिश्तों में आई कड़वाहट दूरी होती है और हर हम एक सकारात्मक ऊर्जा के साथ जीवन में आगे बढ़ते हैं। कहा यह भी जाता है कि मीठा खाने से वाणी और व्यवहार में मधुरता आती है और जीवन में खुशियों का संचार होता है। मकर संक्रांति के मौके पर सूर्य देव के पुत्र शनि के घर पहुंचने पर तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटी जाती है।
तिल और गुड़ की मिठाई के अलावा मकर संक्रांति के मौके पर पतंग उड़ाने की भी परंपरा है। गुजरात और मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में मकर संक्रांति के दौरान पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर बच्चों से लेकर बड़े तक पतंगबाजी करते हैं। पतंग बाजी के दौरान पूरा आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से गुलजार हो जाता है।
Pilgrimage and fairs तीर्थ दर्शन और मेले
मकर संक्रांति के मौके पर देश के कई शहरों में मेले लगते हैं। खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत में बड़े मेलों का आयोजन होता है। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान, धर्म करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि, जो मनुष्य मकर संक्रांति पर देह का त्याग करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जीवन-मरण के चक्कर से मुक्त हो जाता है।
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
9005804317
