Edited By Prachi Sharma,Updated: 07 Aug, 2024 01:05 PM
भारत की चारों दिशाओं में बाबा भोलेनाथ 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। इन्हें में से एक हैं मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग दूसरे ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजे जाते हैं। जो आंध्र प्रदेश
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Mallikarjuna Jyotirlinga: भारत की चारों दिशाओं में बाबा भोलेनाथ 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। इन्हें में से एक हैं मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग दूसरे ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजे जाते हैं। जो आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट के पास श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को दक्षिण का कैलाश और तेलुगू क्षेत्र का काशी भी कहा जाता है। इसे भारत के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। सावन के महीने में शिव जी के इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।
सावन में भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और अश्वमेध यज्ञ से मिलने वाले पुण्य की प्राप्ति होती है, साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। किवदिंतियों के अनुसार, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में देवों के देव महादेव और उनकी धर्मपत्नी माता पार्वती की एक साथ दिव्य ज्योतियां स्थापित हैं।
भगवान शिव-पार्वती से नाराज हो कर चले गए थे कार्तिकेय
शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के छोटे पुत्र गणेश जी का विवाह कार्तिकेय जी से पहले हो गया था। तब कार्तिकेय जी ने माता-पिता से नाराज होकर कैलाश पर्वत छोड़ दिया और क्रौंच पर्वत चले गए। नाराज कार्तिकेय जी को मनाने के लिए सभी देवी-देवताओं और शिव-पार्वती ने बहुत प्रयास किया लेकिन वह नहीं माने। इस बात से दुखी होकर शिव जी और माता पार्वती ने एक ज्योतिर्लिंग का रूप धारण किया। फिर मल्लिकार्जुन नाम से इस पर्वत में रहने लगे। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में मल्लिका का अर्थ है पार्वती और अर्जुन का अर्थ है शिव।