Edited By Prachi Sharma,Updated: 13 Jan, 2024 08:31 AM
आज इस आर्टिकल में बात करेंगे मंगल और मांगलिक दोष के बारे में। ज्योतिष में 7 ग्रह होते हैं, राहु और केतु छाया ग्रह है। मंगल अग्नि तत्व का ग्रह
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Mangal Dosh: आज इस आर्टिकल में बात करेंगे मंगल और मांगलिक दोष के बारे में। ज्योतिष में 7 ग्रह होते हैं, राहु और केतु छाया ग्रह है। मंगल अग्नि तत्व का ग्रह है। जब उसका प्रभाव सप्तम भाव पर पड़ता है कुंडली में तो मांगलिक दोष समझा जाता है। आपकी कुंडली में लग्न में मंगल हो गया सातवीं दृष्टि सीधा सप्तम स्थान के ऊपर पड़ेगी ये शादी का स्थान है। अष्टम में मंगल जाएगा जब सीधी दृष्टि पड़ेगी दूसरे भाव के ऊपर। दूसरा भाव फैमली का भाव है यहां पर भी मंगल की दृष्टि शुभ नहीं मानी जाती। बारहवें भाव में मंगल बैठेंगे तो अष्टम भाव से सप्तम दृष्टि को देखेंगे।
कर्क लग्न वालों का मंगल दोष कैसे रद्द होता है ?
पूरी कुंडली में 12 भाव है। मन लीजिये आपकी कुंडली में मंगल अपनी राशि का स्वामी है। मंगला उच्च का है वो शनि की राशि में भी चला जाएगा। ये नीच और वक्री हो तब भी रद्द हो जाता है। मंगल योगा कारक हो जाए तो भी रद्द हो जाता है। मंगल गुरु के साथ आ जाए तो ये दोष तब भी रद्द हो जाता है। आपकी कुंडली में केंद्र में शुभ भाव है तो तब भी ये दोष रद्द हो जाता है।
एक जातक की कुंडली में मंगल दोष हो दूसरे की कुंडली में उन्हीं स्थानों पर शनि यदि पाप ग्रह होने से मांगलिक दोष का प्रभाव रद्द हो जाता है। तीन राशियां ऐसी है जिनके ऊपर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है। शास्त्रों में भी मंगल दोष को दूर करने के उपाय बताए गए हैं।
मेष राशि का मंगल लग्न में हो, वृश्चिक राशि का चौथे भाव में मकर का सातवें, कर्क राशि पर आठवें तो मंगल दोष रद्द हो जाता है।
मीन का मंगल सातवें भाव में कुम्भ राशि का मंगल अष्टम भाव में तो मंगल दोष रद्द हो जाता है।
शुक्र और चंद्र दूसरे भाव में आ गए, केंद्र के भावों में राहु आ जाए तो मंगल दोष रद्द हो जाता है।
तीसरे और छठे में अशुभ ग्रह आते हैं तो लग्न मजबूत हो जाता है।
सप्तमेश यदि सप्तम भाव में हो तो मांगलिक दोष नहीं लगेगा।
मंगल अपने घर में और उच्च का हो तो मंगल दोष रद्द हो जाता है।
वर और वधु की कुंडली में राशि मैत्री हो और 27 से ज्यादा गुण मिलते हो तो मांगलिक दोष नहीं होता।
मंगल की तीन दृष्टि है 4, 7 और 8 । जहां पर वो दृष्टि पड़ेगी वो नेगेटिव ही है। जहां पर मंगल की दृष्टि पड़ेगी वो भाव भी नेगेटिव हो जाएगा। मंगल अष्टम में पड़ा हो तो एक्सीडेंट्स हो सकता है। मंगल आपकी कुंडली में अगर शुभ ग्रह में आ जाए तो व्यक्ति शारीरिक रूप से मजबूत हो जाता है।
कर्क लग्न के लिए मांगलिक होता ही नहीं है। कर्क लग्न में मंगल की मेष राशि ये दशम स्थान के पड़ी हुई है और ये केंद्र का भाव है। मंगल की दूसरी राशि वृश्चिक राशि है और ये त्रिकोण का भाव है। अब केंद्र और एक त्रिकोण का स्वामी जब कोई ग्रह हो जाता है तो उसे योगा कारक ग्रह बोलते हैं। यह कुंडली का दूसरा सबसे शुभ भाव होता है। कर्क लग्न के जातकों के लिए मंगल नहीं होता। किसी भी तरीके से हो जाए लेकिन मांगलिक दोष नहीं होता। जो प्लेनेट आपके लिए शुभ है वो आपको नुकसान नहीं करेगा। कर्क लग्न में पड़ा हुआ मंगल खुद नीच का हो जाएगा। इसलिए वो मांगलिक दोष नहीं होगा। लेकिन यदि गुरु आ जाए तो मंगल गुरु साथ में मिलकर नीच भंग योग बना रहे हैं। गुरु की एक राशि भाग्य स्थान में पड़ी हुई है। भागेश जाकर लग्न में बैठ गया और पंचमेश के साथ बैठ गया। यह सिर्फ मंगल को रद्द नहीं करेगा यह राजयोग बना देगा। दूसरा यदि मंगल या चौथे भाव में आ जाए तो मांगलिक दोष रद्द हो जाता है। गुरु यहां फिर उच्च के आकर रद्द हो जाएंगे। मंगल अष्टम में आ गया और राहु लग्न में आ गए। केंद्र में राहु आ जाए तो भी रद्द है। गुरु चौथे भाव में और मंगल बारहवें भाव में रद्द हो जाता है।
नरेश कुमार
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