Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Apr, 2023 07:58 AM
1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले क्रांतिकारी के तौर पर विख्यात मंगल पांडे की लगाई चिंगारी ने 90 वर्ष बाद 1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। उनका जन्म 19 जुलाई, 1827 को
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Mangal Pandey balidan diwas: 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले क्रांतिकारी के तौर पर विख्यात मंगल पांडे की लगाई चिंगारी ने 90 वर्ष बाद 1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। उनका जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा में हुआ। कई इतिहासकारों का कहना है कि उनका जन्म फैजाबाद की अकबरपुर तहसील के सुरहुरपुर गांव में हुआ था। रोजी-रोटी की मजबूरी ने युवावस्था में उन्हें अंग्रेजों की फौज में नौकरी करने को मजबूर कर दिया।
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ईस्ट इंडिया कम्पनी की क्रूर नीतियों ने लोगों के मन में अंग्रेज हुकूमत के प्रति पहले ही नफरत पैदा कर दी थी, लेकिन हद तब हो गई जब 9 फरवरी, 1857 को भारतीय सैनिकों को एनफील्ड बंदूकें दी गईं। नई बंदूकों में गोली दागने की आधुनिक प्रणाली का प्रयोग किया गया था, परन्तु गोली भरने की प्रक्रिया पुरानी थी। कारतूस भरने के लिए दांतों से काट कर खोलना पड़ता था। कारतूस के ऊपरी हिस्से पर लगी चर्बी उसे सीलन से बचाती थी।
यह अफवाह फैली कि कारतूस की चर्बी सूअर और गाय के मांस से बनाई गई है। यह बात हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ थी। मंगल पांडे ने इसे मुंह से काटने से मना कर दिया और साथी सिपाहियों को भी इसके विरुद्ध विद्रोह के लिए प्रेरित किया जिससे अंग्रेज अधिकारी गुस्सा हो गए।
उसी दौरान अंग्रेज अफसर हेयरसेय उनकी तरफ बढ़ा लेकिन मंगल पांडे ने उसे वहीं ढेर कर दिया जिसके बाद अंग्रेज सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया। 6 अप्रैल 1857 को उनका कोर्ट मार्शल किया गया और बिना किसी दलील-अपील के 18 अप्रैल को फांसी देने का हुक्म सुना दिया गया लेकिन 1857 की क्रांति के इस नायक को 10 दिन पहले ही चुपके से 8 अप्रैल, 1857 को पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में फांसी देकर शहीद कर दिया गया।
मंगल पांडे की शहादत की खबर फैलते ही कई जगहों पर सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया। यह विद्रोह पूरे उत्तर भारत में फैल गया जिससे अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश मिल गया कि अब भारत पर शासन करना उतना आसान नहीं है जितना वे समझ रहे थे। सही अर्थों में देश में आजादी का बिगुल मंगल पांडे ही फूंका था। स्वाधीनता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर उनके सम्मान में भारत सरकार ने 1984 में डाक टिकट जारी किया। 2005 में उनके जीवन पर ‘मंगल पांडे द राइजिंग’ नामक फिल्म भी बनी थी।