Edited By Prachi Sharma,Updated: 23 Jul, 2024 07:31 AM
जिस तरह श्रावन मास के सोमवार विशेष महत्व रखते हैं। उसी तरह सावन माह में पड़ने वाले मंगलवार भी खास माने गए हैं। सावन सोमवार को भगवान शिव का पूजन व व्रत किया जाता है। वहीं सावन मंगलवार
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जिस तरह श्रावन मास के सोमवार विशेष महत्व रखते हैं। उसी तरह सावन माह में पड़ने वाले मंगलवार भी खास माने गए हैं। सावन सोमवार को भगवान शिव का पूजन व व्रत किया जाता है। वहीं सावन मंगलवार को मां मंगला गौरी व्रत किया जाता है। मां मंगला गौरी माता पार्वती का ही मंगल रूप है, कुंवारी व सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद सौभाग्यशाली माना गया है। ऐसे में आज जानेंगे मंगला गौरी व्रत की तिथियां व मां गौरी का पूजन कैसे करें-
सबसे पहले आपको बता दें कि इस साल श्रावण मास में कुल चार मंगला गौरी व्रत पड़ रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 22 जुलाई को रखा जाएगा। वहीं दूसरा मंगला गौरी व्रत 30 जुलाई को पड़ा रहा है। तीसरा मंगला गौरी व्रत 06 अगस्त को और आखिरी मंगला गौरी 13 अगस्त को रखा जाएगा।
श्रावण के पहले मंगला गौरी व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। आज अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। तो वही आपको बता दें कि इस साल पहले मंगला गौरी व्रत के दिन बेहद ही शुभ संयोग बन रहा है। आज द्विपुष्कर योग और सौभाग्य का निर्माण हो रहा है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इन शुभ योगों में पूजा-पाठ और व्रत करता है उसको मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
मंगला गौरी व्रत के दिन देवी गौरी का पूजन कैसे करें-
सावन महीने के मंगलवार के दिन व्रती ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर नित्य कामों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए और नवीन वस्त्र धारण करें। फिर चौकी पर आधे-आधे हिस्से में सफेद और लाल कपड़ा बिछाएं। साथ ही थोड़ी सी जगह खाली छोड़ दें। सफेद कपड़े के ऊपर चावल के 9 छोटे-छोटे ढेर बनाकर नवग्रह तैयार करें। इसके बाद लाल कपड़े के ऊपर गेहूं के सोलह छोटे-छोटे ढेर बनाएं। चौकी पर बिना कपड़े वाली जगह पर थोड़े से चावल फैलाकर उस पर पान का पत्ता रखें। पान पर स्वास्तिक बनाएं और गणपति बप्पा को विराजमान करें।
इसके बाद गणपति जी की और नवग्रह की रोली-चावल, पुष्प, धूप आदि से पूजन करें साथ ही गेहूं की ढेरियों की भी पूजा करें। इसके बाद एक थाली में मिट्टी से गौरी माता की प्रतिमा बनाकर चौकी पर रखें। हाथ में जल, अक्षत और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें और मन में अपनी मनोकामना कहते हुए माता से उसे पूरी करने की प्रार्थना करें। फिर गौरी का पंचामृत से स्नान कराकर वस्त्र पहनाएं। उन्हें सोलह लड्डू, पान, फल, फूल, लौंग, इलायची और 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें। देवी मां के सामने 16 दीपक जलाएं या
16 बत्तियों वाला एक दीप भी जला सकते हैं। फिर व्रत कथा पढ़कर आरती करें। याद रखें कि पूजा के बाद सारा सामान ब्राह्मण को दान कर दें। व्रत में फलाहार कर सकते हैं, लेकिन नमक नहीं खाना है। इसके साथ ही आपको बता दें कि इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है। इसके बाद शाम को अपना व्रत खोलें। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।