Manikaran: बाबा नानक के चमत्कार और शेषनाग की हुंकार से जुड़ा है ये तीर्थस्थल

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Jun, 2024 08:09 AM

manikaran

मणिकर्ण हिमाचल प्रदेश में कुल्लू जिले के भुंतर से उत्तर-पश्चिम में पार्वती घाटी में ब्यास और पार्वती नदियों के मध्य बसा एक तीर्थस्थल व पर्यटन नगरी है। यह समुद्र तल से 1760 मीटर की

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Manikaran: मणिकर्ण हिमाचल प्रदेश में कुल्लू जिले के भुंतर से उत्तर-पश्चिम में पार्वती घाटी में ब्यास और पार्वती नदियों के मध्य बसा एक तीर्थस्थल व पर्यटन नगरी है। यह समुद्र तल से 1760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और कुल्लू से इसकी दूरी लगभग 45 कि.मी. और मनाली से करीब 80 किलोमीटर है। हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए भुंतर में छोटे विमानों के लिए हवाई अड्डा भी है।

PunjabKesari Manikaran 
Why is Manikaran famous: खौलते गर्म पानी के चश्मे मणिकर्ण का सबसे अचरज भरा और विशिष्ट आकर्षण हैं। देश-विदेश के लाखों प्रकृति प्रेमी पर्यटक यहां आते हैं, विशेष रूप चर्म रोग या गठिया जैसे रोगों से परेशान पर्यटक, जो यहां आकर स्वास्थ्य लाभ पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां उपलब्ध गंधकयुक्त गर्म पानी में कुछ दिन स्नान करने से ये बीमारियां ठीक हो जाती हैं।  

PunjabKesari Manikaran
What is special in Manikaran: यहां मंदिर व गुरुद्वारे के विशाल भवनों से लगती हुई बहती है पार्वती नदी, जिसका वेग रोमांचित करने वाला होता है। नदी का पानी बर्फ के समान ठंडा है, जिसके दाहिनी ओर गर्म व उबलते पानी के चश्मे हैं। इस ठंडे-उबलते प्राकृतिक संतुलन ने वैज्ञानिकों को लंबे समय से चकित कर रखा है, जिनका कहना है कि यहां के पानी में रेडियम है।

Manikaran Tour: पर्यटकों के लिए सफेद कपड़े की पोटलियों में चावल डालकर चश्मों में उबालकर बेचे जाते हैं। कहते हैं कि इस पानी से चाय बनाई जाए तो आम पानी की चाय से आधी चीनी डालकर भी दो गुना मीठी हो जाती है।

PunjabKesari Manikaran
Gurdwara Manikarn Sahib गुरुद्वारा मणिकर्ण साहिब
मणिकर्ण साहिब गुरुद्वारा किसी चमत्कारी तीर्थस्थल से कम नहीं है। आप इस बात को जान कर हैरत में पड़ जाएंगे कि इस गुरुद्वारे का पानी बर्फीली ठण्ड में भी उबलता रहता है। गुरुद्वारा मणिकर्ण साहिब गुरु नानक देव जी की यहां की यात्रा की स्मृति में बना है। कहा जाता है कि यह पहली जगह है, जहां गुरु नानक देव जी ने ध्यान लगाया था और बड़े-बड़े चमत्कार किए थे। उनके शिष्य मर्दाना को भूख लगी थी लेकिन भोजन नहीं था। इसलिए गुरु नानक जी ने उसको लंगर के लिए भोजन एकत्र करने के लिए भेजा। लोगों ने रोटियां बनाने के लिए आटा दान में दिया। सामग्री होने के बावजूद वे आग न होने के कारण भोजन पकाने में असमर्थ थे। इसके बाद गुरु नानक देव जी ने मर्दाना को एक पत्थर उठाने के लिए कहा और ऐसा करते ही वहां से गर्म पानी का एक चश्मा निकल आया। इसी चश्मेे के उबलते पानी का इस्तेमाल आज भी गुरुद्वारा में रोटी, चावल, दाल आदि पकाने के लिए किया जाता है।

PunjabKesari Manikaran
Raghunath Temple रघुनाथ मंदिर
कुल्लू स्थित यह एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो देवता रघुनाथ जी को समर्पित है। माना जाता है कि अश्वमेघ यज्ञ के दौरान भगवान राम की जो मूर्ति बनी और उसका पूजन हुआ, यह वही रघुनाथ हैं। अंगूठे के आकार की छोटी-सी प्रतिमा, जिन्हें कुल्लू के राजा जगत सिंह 1651 में अयोध्या से लाए और कथित तौर पर इससे उनकी लाईलाज बीमारी ठीक हो गई थी। इस मंदिर का निर्माण 1650 ई. में किया गया था। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस तीर्थ स्थल के इष्टदेव घाटी के रक्षक हैं।

How did Manikarn get the name कैसे पड़ा मणिकर्ण नाम
हिंदू मान्यताओं के अनुसार यहां का नाम इस घाटी में देवी पार्वती के कान (कर्ण) की बाली (मणि) खो जाने से संबंधित है। भगवान शिव और देवी पार्वती इस स्थान की सुंदरता पर मोहित हो गए और उन्होंने 1100 सालों तक यहां रह कर तपस्या की थी। मां पार्वती जब नहा रही थीं, तब उनके कानों की बाली में से एक मणि पानी में जा गिरी। भगवान शिव ने अपने गणों से मणि ढूंढने को कहा लेकिन वह नहीं मिली। इससे भगवान शिव नाराज हो गए और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया, जिससे माता नैनादेवी नामक शक्ति उत्पन्न हुई।

माता नैना देवी ने भगवान शिव को बताया कि उनकी मणि पाताल में शेषनाग के पास है। देवताओं द्वारा प्रार्थना करने पर शेषनाग ने मणि वापस कर दी लेकिन वह इतने नाराज हुए कि उन्होंने जोर की फुंकार भरी जिससे इस जगह पर गर्म जल की धारा फूट पड़ी। तभी से इस जगह का नाम मणिकर्ण पड़ गया।

PunjabKesari Manikaran
Kheerganga खीरगंगा
खीरगंगा मणिकर्ण से लगभग 22 कि.मी. दूर स्थित हैै। यहां के इलाके घने जंगल, कैंपिंग, नेचर वॉकिंग और माऊंटेन क्लाइंबिंग व ट्रैकिंग के लिए बेहद खास हैं। हरे-भरे जंगलों के बीच से सूर्यास्त और ट्रैकिंग के अविश्वसनीय दृश्यों का अनुभव बेहद खास होता है।

Bijli Mahadev Temple बिजली महादेव मंदिर
मणिकर्ण से 39 कि.मी. दूर स्थित बिजली महादेव मंदिर को इसका नाम यहां होने वाले चमत्कार के कारण मिला है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर 12 साल में इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर बिजली गिरती है और यह शिवलिंग कई टुकड़ों में टूट जाता है। मंदिर के पुजारी शिवलिंग को मक्खन से जोड़ देते हैं और कुछ समय बाद यह अपने पुराने स्वरुप में आ जाता है।  

Bhrigu lake भृगु झील
मणिकर्ण से 92 किलोमीटर की दूर इस झील का नाम ऋषि भृगु के नाम पर पड़ा है, जो कहा जाता है कि इस झील के पास ध्यान करते थे। इस झील को एक प्राचीन लोककथा के कारण ‘पूल ऑफ गॉड्स’ के रूप में भी जाना जाता है, जो बताता है कि देवताओं ने इसके पवित्र जल में डुबकी लगाई थी। स्थनीय लोगों का मानना है कि इसी वजह से यह झील कभी पूरी तरह से जम नहीं पाती।

PunjabKesari Manikaran
Shri Ram Mandir श्री राम मंदिर
प्राचीन श्री राम मंदिर मणिकर्ण की देखने लायक जगहों में से है। मंदिर में लकड़ी और पत्थर की कारीगरी का अदभुत संगम है।

Parvati Valley Track पार्वती घाटी ट्रैक
पार्वती घाटी ट्रैक हिमालयी क्षेत्र में सबसे चुनौतीपूर्ण व रोमांचकारी ट्रैक्स में से एक है। यह काफी लंबा और हैरान कर देने वाला लेकिन बेहद शानदार है। जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, आसपास के घने जंगल, हरे-भरे घास के मैदान और नदियां आपको अपने आकर्षण से मोहित कर देंगे।  

कृष्ण भनोट
krishanbhanot@punjabkesari.net.in

PunjabKesari Manikaran

Related Story

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!