मनीषी विदुर ने मृत्यु से पहले श्रीकृष्ण को बताई थी अपनी अंतिम इच्छा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Feb, 2018 12:07 PM

manishi vidur had told krishna about his last wish

महाभारत काल के महत्वपूर्ण पात्रों में से एक पात्र विदुर जी को माना जाता है। विदुर जी हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री, कौरवो व पांडवो के काका और धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। परंतु इनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था।

महाभारत काल के महत्वपूर्ण पात्रों में से एक पात्र विदुर जी को माना जाता है। विदुर जी हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री, कौरवो व पांडवो के काका और धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। परंतु इनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। इतनी महत्वपूर्ण भूमिका होने के बाद भी मनीषी विदुर महाभारत में अपना कोई अस्तित्व कायम न कर सके। विदुर जी को महाभारत के केंद्रीय पात्रों में से एक माना तो गया, किंतु फिर भी अधिकतर लोग उन्हें जानते नहीं हैं। उनकी पहचान सदैव हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री में की गई है। जिन लोगों ने महाभारत ग्रंथ के विस्तार में पढ़ा है, उसे ही यह ज्ञात होगा कि विदुर जी कौरवों व पांडवों के काका थे और धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। परंतु वे उनके कोई साधारण भाई नहीं बल्कि उनके बड़े भाई थे, इस बात का पता शायद ही किसी को होगा। सबसे बड़ा होने के बावजूद उन्हें राजपद नहीं सौंपा गया और न ही कभी उन्हें परिवार का अहम हिस्सा माना गया। इन सबका का संबंध उनके जन्म से जुड़ा हुआ है। 


दरअसल विदुर किसी रानी या महारानी के नहीं, वरन् एक दासी के पुत्र थे। हस्तिनापुर के राजा विचित्रवीर्य अपनी दोनों रानियों को संतान सुख देने में असमर्थ हुए थे और अंत में क्षय रोग से पीड़ित होकर मृत्यु को प्राप्त हुए। ऐसे में हस्तिनापुर का अगला रखवाला कौन होगा, इसके लिए वेद व्यास जी की मदद ली गई। वेद व्यास ने दोनों रानियों को संतान सुख का आशीर्वाद देने के लिए बुलाया, किंतु उनके डर से रानियों ने दासी को भेज दिया। यही कारण है कि पहली संतान दासी के गर्भ से ही हुई। किंतु एक दासी की संतान को राजा का दर्जा देना उचित न समझते हुए, विदुर को कभी वह दर्जा प्राप्त नहीं हुआ जिसके वे हकदार थे। कहा जाता है कि वेद व्यास जी ने दासी के गर्भ से होने वाली संतान को विशेष वर दिया था। उनका कहना था कि यह संतान बेहद बुद्धिमान एवं सर्वगुण सम्पन्न होगी।


महाभारत ग्रंथ के अनुसार विदुर को धर्मराज का स्वरूप माना गया है। अपनी सूझ-बूझ के चलते ही विदुर को हस्तिनापुर का प्रधानमंत्री घोषित किया गया था। कहते हैं विदुर ने महाभारत युद्ध लड़ने से इनकार कर दिया था। किंतु मृत्यु से पहले उन्होंने श्रीकृष्ण से एक वरदान मांगा था।

 

श्रीकृष्ण को बताई थी अंतिम इच्छा
यह उस समय की बात है जब महाभारत युद्ध चल रहा था। विदुर, श्रीकृष्ण के पास गए और उनसे एक निवेदन किया। वे अपनी अंतिम इच्छा श्रीकृष्ण को बताना चाहते थे।उन्होंने कहा, "हे प्रभु, मैं धरती पर इतना प्रलयकारी युद्ध देखकर बहुत आत्मग्लानिता का अनुभव कर रहा हूं। मेरी मृत्यु के बाद मैं अपने शरीर का एक भी अंश इस धरती पर नहीं छोड़ना चाहता। इसलिए मेरा आपसे यह निवेदन है कि मेरी मृत्यु होने पर न मुझे जलाया जाए, न दफनाया जाए, और न ही जल में प्रवाहित किया जाए।"


वे आगे बोले, "प्रभु, मेरी मृत्यु के बाद मुझे आप कृपया सुदर्शन चक्र में परिवर्तित कर दें। यही मेरी अंतिम इच्छा है।" श्रीकृष्ण ने उनकी अंतिम इच्छा स्वीकार की और उन्हें यह आश्वासन दिया कि उनकी मृत्यु के पश्चात वे उनकी इच्छा अवश्य पूरी करेंगे।


अब महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था। युद्ध बीते कुछ ही दिन हुए थे, पांचों पांडव विदुर जी से मिलने वन में पहुंचे। युधिष्ठिर को देखते ही विदुर ने प्राण त्याग दिए और वे युधिष्ठिर में ही समाहित हो गए।


युधिष्ठिर के लिए यह घटना कुछ अजीब थी। वे समझ नहीं पा रहे थे कि ये क्या हुआ, क्यों हुआ, इसके पीछे क्या कारण था? अपनी दुविधा का हल खोजने के लिए उन्होंने श्रीकृष्ण का स्मरण किया।


श्रीकृष्ण प्रकट हुए, युधिष्ठिर को दुविधा में देखते हुए वे मुस्कुराए और बोले, "हे युधिष्ठिर, यह समय चिंता का नहीं है। विदुर धर्मराज के अवतार थे और तुम स्वयं धर्मराज हो। इसलिए प्राण त्याग कर वे तुममें समाहित हो गए। लेकिन अब मैं विदुर को दिया हुआ वरदान पूरा करने आया हूं।"


यह कहकर श्रीकृष्ण ने विदुर के शव को सुदर्शन चक्र में परिवर्तित किया और उनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया।

 

Let's Play Games

Game 1
Game 2
Game 3
Game 4
Game 5
Game 6
Game 7
Game 8
IPL
Punjab Kings

83/8

12.0

Royal Challengers Bengaluru

Punjab Kings are 83 for 8 with 8.0 overs left

RR 6.92
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!