Masik Karthigai: मासिक कार्तिगाई पर इस विधि से करें कुमार कार्तिकेय की पूजा, बाधाओं और संकटों का होगा नाश

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Oct, 2024 06:26 AM

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मासिक कार्तिगाई पर कुमार कार्तिकेय की पूजा का महत्व: मासिक कार्तिगाई पर कुमार कार्तिकेय (जो भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं) की पूजा का विशेष महत्व है।

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Masik Karthigai 2024: मासिक कार्तिगाई पर कुमार कार्तिकेय की पूजा का महत्व: मासिक कार्तिगाई पर कुमार कार्तिकेय (जो भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं) की पूजा का विशेष महत्व है। कार्तिकेय युद्ध और विजय के देवता माने जाते हैं और उनकी पूजा से भक्तों को शक्ति, साहस और सफलता प्राप्त होती है। मासिक कार्तिगाई पर कुमार कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति और सफलता की प्राप्ति होती है। नियमित पूजा से भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और संकट दूर होते हैं। मासिक कार्तिगाई के दिन उनकी पूजा करने से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

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संकट मोचन: कुमार कार्तिकेय की पूजा से जीवन में आने वाली बाधाओं और संकटों से मुक्ति मिलती है।
स्वास्थ्य और शक्ति: उनकी आराधना से स्वास्थ्य और शारीरिक शक्ति में सुधार होता है।
सकारात्मक ऊर्जा: पूजा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे मानसिक शांति और खुशियां प्राप्त होती हैं।
सफलता और विजय: व्यवसाय और व्यक्तिगत जीवन में सफलता पाने के लिए उनकी कृपा से लाभ मिलता है।

How to Worship Kumar Kartikeya कुमार कार्तिकेय की पूजा कैसे करें
कुमार कार्तिकेय की पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधियों का पालन करें:
तारीख और समय: मासिक कार्तिगाई पर पूजा करने का समय सूर्यास्त से पहले का होता है। इस दिन विशेष रूप से रात्रि के समय पूजा करना शुभ माना जाता है।

Puja Items for Masik Karthigai मासिक कार्तिगाई की पूजा सामग्री:
लाल या सफेद पुष्प
धूप और दीप
फलों और मिठाईयों का भोग
कुमकुम और चंदन
सरसों का तेल 

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Masik Karthigai Puja Vidhi मासिक कार्तिगाई की पूजा विधि:
स्नान: सबसे पहले, सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थान: घर के पूजास्थल को साफ करें और वहां एक साफ चादर बिछाएं।
प्रतिमा या चित्र: कुमार कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र को रखें।
दीप जलाना: दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
पुष्प अर्पण: फूलों को उनके चरणों में अर्पित करें और कुमकुम का तिलक करें।
भोग अर्पण: फल और मिठाई को भगवान को अर्पित करें।
आरती: भगवान की आरती करें और उनके नाम का जाप करें।
प्रार्थना और ध्यान: पूजा के अंत में ध्यान करें और उनके लिए प्रार्थना करें। संतान सुख, स्वास्थ्य, और समृद्धि के लिए विशेष रूप से प्रार्थना करें।
भंडारा या वितरण: पूजा के बाद, भोग का वितरण करें। इससे आपके परिवार में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।

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