Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Oct, 2020 06:07 AM
हिन्दू धर्म में मां आदि शक्ति की महिमा के नौ दिनों को नवरात्रि के नाम से मनाया जाता है। इन नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा अभीष्ट की प्राप्ति की इच्छा से की जाती है। नवरात्रि के सातवें दिन मां
Navratri 2020 Day 7: हिन्दू धर्म में मां आदि शक्ति की महिमा के नौ दिनों को नवरात्रि के नाम से मनाया जाता है। इन नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा अभीष्ट की प्राप्ति की इच्छा से की जाती है। नवरात्रि के सातवें दिन मां आदि शक्ति के कालरात्रि रूप की पूजा करने का विधान है। मां की आराधना से हर समस्या का हल प्राप्त होता है। संकट दूर होते हैं। मृत्यु तुल्य रोगों से मुक्ति मिलती है। मां के साधक को कभी अकाल मृत्यु नहीं आती। कालरात्रि मां दुष्टों का अंत करने वाली है। इनके पूजन से भूत-प्रेत व ग्रह बाधाओं से मुक्ति मिलती है। मां का यह रूप असुरों का नाश करने वाला व अपने भक्तों के हर कष्ट को हरने वाला माना जाता है।
Mata Kalaratri Legend: मां का स्वरूप
मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत क्रोधमयी व भयानक है। इनका वर्ण नाम के अनुसार बहुत काला है। खून से लथपथ लाल जिव्हा व क्रोध से भरे लाल त्रिनेत्र हैं। मां की चार विकराल भुजाएं है, जिनमें लोहे की कटार व खङ्ग शोभित हैं। केश बिखरे हुए हैं। सांसों से ज्वाला की भांति अग्नि निकलती है। हालांकि कालरात्रि मां का यह रुप बहुत ही कुपित जान पड़ता है। फिर भी मां अपने भक्तों का शुभ चाहने वाली व शुभ फल प्रदान करनी वाली हैं। जो मन से मां के कालरात्रि रूप की पूजा-अर्चना करते हैं, उनका हर प्रकार से मंगल होता है। मां का एक हाथ अभय मुद्रा व एक हाथ वरमुद्रा में है।
Maa Kalaratri katha: मां कालरात्रि की उत्तपत्ति से जुड़ी पौराणिक कथा
मारकण्डेय पुराण के अनुसार रक्तबीज नामक दैत्य से लड़ते हुए मां की शक्तियां जब-जब उस दानव पर प्रहार करती तो उसे प्राप्त वरदान के अनुसार जब भी उसके शरीर से उसके रक्त की एक भी बूंद पृथ्वी पर गिरती तो उसी के समान बलवान, वीर्यवान व पराक्रमी राक्षस पैदा हो जाता। फिर वह भी हर प्रकार के अस्त्र-शस्त्र के साथ युद्ध करने लगता। इस प्रकार युद्धभूमि रक्त की बूंदों से निर्मित हुए असंख्य राक्षसों से भर गई। तब मां पार्वती ने कालरात्रि रूप में अवतरित होकर अपने मुख को युद्ध भूमि में विशाल रूप से फैला लिया। ज्यों ही मां रक्तबीज पर प्रहार करती व उसके शरीर से रक्तपात होता तो उसे मां काली अपने मुख से पी जाती व उन रक्त बूंदो से निर्मित होने वाले राक्षसों को भी निगलती जाती। इस प्रकार देवी मां ने वज्र, खङ्ग आदि शस्त्रों से उस महादैत्य का वध किया।
Mata Kalaratri Puja Vidhi: पूजा विधि
नवरात्र के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां के इस रूप का ध्यान करें। इस दिन अपना आहार व व्यवहार सात्विक रखें। मां की प्रतिमा को आसन पर विराजमान करें। मां के वस्त्र व श्रृंगार करें। फिर धूप-दीप आदि से उनकी पूजा करें। मां को चमेली के फूल विशेष रूप से अर्पित किए जाते हैं। मां को गुड़ के प्रसाद का भोग लगाएं। मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें व अपने अभीष्ट की पूर्ति की कामना करें। पूजा के पश्चात मां की आरती करें व प्रसाद ग्रहण करें।
Maa Kalaratri Mantra: मां कालरात्रि मंत्र
ज्वाला कराल अति उग्रम शेषा सुर सूदनम।
त्रिशूलम पातु नो भीते भद्रकाली नमोस्तुते।।
What does Kalaratri mean in Tantra: तंत्र साधना के लिए भी अति महत्वपूर्ण है मां कालरात्रि को समर्पित नवरात्रि का सातवां दिन इस दिन को तंत्र साधना के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। तंत्र साधनाओं के लिए पूजा मुख्यतः मध्यरात्रि में की जाती है। मां कालरात्रि के साधक के लिए कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं रह जाती है। मां की साधना से जातक को पुण्य की प्राप्ति होती है।