Mata Rani Bhatiyani Mandir: रानी भटियाणी जी की समाधि पर होते हैं चमत्कार, इस अनोखी विधि से करते हैं अपील

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Nov, 2023 11:22 AM

mata rani bhatiyani mandir

संरक्षण राजस्थान की परंपरा रही है। राजस्थान के लोग सदियों से अपनी प्राचीन सभ्यता एवं धरोहरों की रक्षा करते आ रहे हैं। राजस्थान की सभ्यता एवं संस्कृति में कई

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Mata Rani Bhatiyani Mandir: संरक्षण राजस्थान की परंपरा रही है। राजस्थान के लोग सदियों से अपनी प्राचीन सभ्यता एवं धरोहरों की रक्षा करते आ रहे हैं। राजस्थान की सभ्यता एवं संस्कृति में कई देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है। राजस्थान के पश्चिमी भाग में बाड़मेर जिले की जसोल तहसील में ‘मां रानी भटियाणी’ का विशेष महत्व है।

राजस्थान के पश्चिमी जिले बाड़मेर में स्थित जसोल एक ऐतिहासिक नगरी है। कहा जाता है कि जसोल पुराने मालानी राज्य की राजधानी थी। इस नगरी पर राजपूतों का शासन था, जो अपनी मातृभूमि की रक्षा एवं सेवा करना अपना परम धर्म मानते थे। इन्हीं में से एक मल्लीनाथ जी तो संन्यास लेकर साधु बन गए थे। इसी प्रकार यहां की स्त्रियों का नाम भी स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। जसोल नगरी में ही राव कल्याण सिंह जी नामक एक शासक हुए जिनकी दूसरी पत्नी रानी स्वरूप कंवर की समाधि पर ही वर्तमान मंदिर बना है, जिसे ‘रानी भटियाणी जी’ का मंदिर भी कहते हैं।

PunjabKesari Mata Rani Bhatiyani Mandir

ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाला कभी खाली हाथ नहीं लौटा। दूर-दूर से लोग इसकी पूजा-अर्चना करने एवं अपने दुख दूर करने हेतु यहां आते हैं। इसी मंदिर पर प्रति वर्ष चैत्र, बैसाख, भादवा तथा माद्य महीनों की जैरस एवं चौदहस को हजारों लोग दर्शन के लिए आते हैं। रानी भटियाणी के मंदिर के पास ही अनेक वीरों एवं देवताओं की छतरियां बनी हुई हैं, उनमें प्रमुखत: सवाईसिंह जी राठौड़, भूरा राठौड़ एवं श्री जोरावर सिंह जी की बड़ी छतरी एवं मंदिर प्रमुख है। रानी भटियाणी के नाम से एक पशु मेला भी लगता है जिसमें दूर-दूर से व्यापारी घोड़े, बैल, ऊंट आदि खरीदने आते हैं। रानी भटियाणी जी के बारे में एक प्रसिद्ध कथा प्रचलित है जो इस प्रकार है :

जसोल के ठाकुर राव कल्याण सिंह जी की दूसरी शादी रानी स्वरूप कंवर से हुई थी। रानी स्वरूप कंवर का जन्म जैसलमेर जिले के नागीदास गांव में ठाकुर श्री जोगराज सिंह जी भाटी के वंश में विक्रम सम्वत् 1725 में हुआ था तथा 20 वर्ष की आयु में इसका विवाह ठाकुुर राव श्री कल्याण सिंह जी से हुआ। ठाकुर कल्याण सिंह जी की पहली पत्नी रानी देवड़ी, स्वरूप कंवर से ईर्ष्या करती थी। रानी स्वरूप कंवर ने एक पुत्र का जन्म दिया जिसका नाम लाल सिंह कंवर रखा गया। कुछ समय बाद देवड़ी ने भी पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम प्रतापसिंह कंवर रखा गया।

कहते हैं कि रानी देवड़ी ने यह सोचकर कि कहीं लाल सिंह कंवर रियासत का मालिक न बन जाए, उसे मरवा दिया। पुत्र वियोग में रानी स्वरूप कंवर बीमार हो गई। ठाकुर श्री कल्याणसिंह जी की प्रथम पत्नी ने रानी स्वरूप कंवर को भी जहर देकर मार दिया। रानी स्वरूप कंवर का स्वर्गवास विक्रमी सम्वत् 1775 माह सूदी दूज सोमवार को हो गया तथा उसके बाद उसका सतीत्व उभर कर आया।

PunjabKesari Mata Rani Bhatiyani Mandir

कहा जाता है कि रानी स्वरूप कंवर के पीहर जैसलमेर से दो ढोली शंकर व ताजिया, राव कल्याण सिंह जी के दरबार में कुछ मांगने के लिए आए तो रानी देवड़ी ने उनको रानी स्वरूप कंवर की समाधि के पास भेज दिया तथा दोनों ढोलियों की भक्ति से प्रसन्न होकर रानी उनके सामने प्रकट हुई तथा एक पत्र भी राव कल्याण सिंह के नाम दिया जिसमें उनके 12वें दिन स्वर्गवास की बात लिखी थी तथा ऐसा हुआ भी। इसके बाद भी रानी के चमत्कारों का सिलसिला जारी रहा तथा रानी स्वरूप कंवर अपने भक्तों के दुख दूर करती रही। तब से आज तक लोग अपने दुखों को दूर करने रानी भटियाणी की शरण में आते रहते हैं एवं उनके भजनों द्वारा उनका गुणगान करते रहते हैं।

‘रानी भटियाणी’ की महिमा पर एक फिल्म का निर्माण भी चल रहा है। आज भी लोग दूर-दूर से इस मंदिर में आकर अपने दुखों को दूर करने की अपील इस प्रकार करते हैं-
हाथ जोड़ अरज करूं, सुण भटियाणी माय। भीड़ पड़ियों जद आवजो, मैं निव निव लागूं पायं॥

PunjabKesari Mata Rani Bhatiyani Mandir
 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!