Mauni Amavasya 2025: 28 या 29 जनवरी जानें, कब है मौनी अमावस्या ?

Edited By Prachi Sharma,Updated: 05 Jan, 2025 07:01 AM

mauni amavasya

हिन्दू धर्म में हर माह अमावस्या का पर्व मनाया जाता है लेकिन सोमवती और मौनी अमावस्या को सबसे खास माना जाता है। साल 2025 की पहली अमावस्या माघ के महीने में मनाई जाएगी

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Mauni Amavasya: हिन्दू धर्म में हर माह अमावस्या का पर्व मनाया जाता है लेकिन सोमवती और मौनी अमावस्या को सबसे खास माना जाता है। साल 2025 की पहली अमावस्या माघ के महीने में मनाई जाएगी और इसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। मौनी अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष स्थान है। इस दिन को साधक, भक्त और तपस्वी विशेष रूप से ध्यान, साधना और उपासना के लिए समर्पित करते हैं। मौन का अर्थ होता है चुप रहना, यानी शब्दों और वाणी से दूर रहना। इस दिन व्यक्ति अपने अंदर की आवाज़ को सुनने की कोशिश करता है और बाहरी दुनिया से पूरी तरह से खुद को काट लेता है। इसके माध्यम से साधक को आंतरिक शांति, मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। तो चलिए जानते हैं कब है मौनी अमावस्या।

PunjabKesari Mauni Amavasya 2025

Mauni Amavasya 2025 Date and Time मौनी अमावस्या 2025
हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 के जनवरी महीने में माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरूआत 28 जनवरी को शाम को 07 बजकर 35 मिनट से होगी और अगले दिन 29 जनवरी को शाम को 06 बजकर 5 मिनट पर इसका समापन होगा। इसके मुताबिक 29 जनवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी।

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 5 बजकर 25 मिनट से 6 बजकर 18 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 2 बजकर 22 मिनट से 3 बजकर 5 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 5 बजकर 55 मिनट से 6 बजकर 22 मिनट तक

मौनी अमावस्या पर रखें व्रत
मौनी अमावस्या का मुख्य उद्देश्य आत्मा की शांति और मानसिक संतुलन को प्राप्त करना होता है। इसके लिए साधक इस दिन उपवासी रहते हैं और वाणी से जुड़ी गतिविधियों से बचने की कोशिश करते हैं। मौन का पालन करने से मानसिक शांति और संतुलन मिलता है। उपवासी रहने से शरीर को भी विश्राम मिलता है, और व्यक्ति का ध्यान और इंद्रियां अधिक केंद्रित हो पाती हैं।

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Chant these mantras during worship पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जप

शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

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