Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Jan, 2025 08:05 AM
Mouni Amavasya Story: मौनी अमावस्या की कथा का संदेश यह है कि मौन केवल शब्दों का नहीं होना चाहिए बल्कि यह अपनी आंतरिक शक्ति और ऊर्जा को जागृत करने का माध्यम है। मौनी अमावस्या का महत्व आत्मसंयम और ध्यान में निहित है, जो जीवन में सकारात्मकता और शुद्धता...
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Mouni Amavasya Story: मौनी अमावस्या की कथा का संदेश यह है कि मौन केवल शब्दों का नहीं होना चाहिए बल्कि यह अपनी आंतरिक शक्ति और ऊर्जा को जागृत करने का माध्यम है। मौनी अमावस्या का महत्व आत्मसंयम और ध्यान में निहित है, जो जीवन में सकारात्मकता और शुद्धता लाता है। मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 को पड़ रही है। आप भी इस दिन का लाभ उठाएं और मौन रहकर अवश्य पढ़ें मौनी अमावस्या की कथा-
मौनी अमावस्या और महर्षि अत्रि की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक समय की बात है जब महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी अनसूया तपस्या में लीन थे। उनकी तपस्या इतनी प्रभावशाली थी कि सभी देवता और ऋषि-मुनि उनके तपोबल से प्रभावित थे। लेकिन उनके तप से कुछ असुर विचलित हो गए और उन्होंने उनके आश्रम में विघ्न डालने की योजना बनाई।
असुरों ने उनके आश्रम के चारों ओर नकारात्मक ऊर्जा फैला दी, जिससे वहां का वातावरण दूषित हो गया। महर्षि अत्रि ने महसूस किया कि यह कोई सामान्य समस्या नहीं है। उन्होंने देवी सरस्वती का आह्वान किया और मौन धारण कर गहरे ध्यान में चले गए।
मौन की शक्ति का उदय
मौन धारण करने से महर्षि अत्रि ने अपनी आंतरिक ऊर्जा को जागृत किया और अपने तपोबल से चारों ओर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर दिया। ऐसा माना जाता है कि उनके इस मौन के कारण उस दिन अमावस्या के कालेपन में भी एक दिव्य प्रकाश उत्पन्न हुआ। यह दिन मौनी अमावस्या के रूप में जाना गया।
मनु महाराज का आशीर्वाद
इस घटना के बाद, स्वयं मनु महाराज ने महर्षि अत्रि के तप और मौन के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा कि इस दिन जो व्यक्ति मौन रहकर आत्मनिरीक्षण करेगा और नदियों में स्नान करेगा, उसे अद्वितीय पुण्य प्राप्त होगा। साथ ही, यह भी माना गया कि इस दिन मौन रहना आत्मा की शुद्धि और ऊर्जा को संतुलित करने का सबसे प्रभावी उपाय है।