Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Mar, 2025 07:12 AM

मीन संक्रांति हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व हर साल सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ मनाया जाता है
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Meen Sankranti 2025: मीन संक्रांति हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व हर साल सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ मनाया जाता है और यह दिन खास तौर पर पुण्य स्नान, दान और धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व खास तौर पर पुण्य कार्यों, स्नान, दान और पूजा का समय माना जाता है। यह एक ज्योतिषीय घटना होती है, जिसमें सूर्य के राशि परिवर्तन से वातावरण में सकारात्मक बदलाव आता है। इस दिन का महत्व इसलिए है क्योंकि मीन राशि को अंतिम और समापन राशि माना जाता है और सूर्य के मीन राशि में प्रवेश से नए आशीर्वाद और ऊर्जा का संचार होता है। तो चलिए जानते हैं मार्च 2025 में कब मनाई जाएगी मीन संक्रांति।

When will Meen Sankranti be celebrated कब मनाई जाएगी मीन संक्रांति
14 मार्च 2025 को मीन संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा।
पुण्य काल: दोपहर 12:39 PM से 06:29 PM तक
महा पुण्य काल: शाम 04:29 PM से 06:29 PM तक

इस दिन होगा सूर्य का गोचर
पंचाग के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य देव 14 मार्च को शाम 6 बजकर 58 मिनट पर कुम्भ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे। जिस दिन सूर्य देव मीन राशि में गोचर करते हैं, उस दिन से खरमास की शुरुआत हो जाती है। हिन्दू धर्म में खरमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके बाद 14 अप्रैल में जब सूर्य देव अगली राशि में गोचर करेंगे तो खरमास समाप्त हो जाएगा।
Meen Sankranti Shubh Yog मीन संक्रांति शुभ योग
ज्योतिष गणना के अनुसार मीन संक्रांति के दिन शिव वास योग का निर्माण हो रहा है और इसी के साथ उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का भी संयोग है। शिव वास योग दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से शुरू होगा। इस दौरान महादेव मां गौरी के साथ कैलाश पर विराजमान होंगे। यदि कोई व्यक्ति इस समय पूजा-पाठ करता है उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

Meen sankranti par snan aur daan ka mahatva मीन संक्रांति पर स्नान और दान का महत्व
मीन संक्रांति के दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन विशेष रूप से पुण्य के कार्यों के लिए है, जहां लोग अपने पापों से मुक्त होने के लिए अपने परिवार और मित्रों के साथ पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इस दिन विशेष रूप से दान देने का भी महत्व है। खासतौर पर गरीबों को वस्त्र, अन्न, तेल, तिल, और अन्य उपयोगी सामग्री का दान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, ब्राह्मणों को भोजन, दक्षिणा और अन्य सामग्रियों का दान करके पुण्य की प्राप्ति होती है।