Meera Bai Temple Vrindavan: वृंदावन के मीराबाई मंदिर में कुछ अलग अंदाज में मनाया गया गणेश उत्सव

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Sep, 2023 10:40 AM

meera bai temple vrindavan

वृंदावन में निधिवन के पास, मीरा प्रेम गली में स्थित प्राचीन ऐतिहासिक "भक्त शिरोमणि श्री मीराबाई मंदिर" में इस साल गणेश उत्सव कुछ अलग ही अंदाज में मनाया गया। मंदिर के सेवायत रुद्र प्रताप सिंह का कहना है कि

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ancient Meera Bai Temple Vrindavan: वृंदावन में निधिवन के पास, मीरा प्रेम गली में स्थित प्राचीन ऐतिहासिक "भक्त शिरोमणि श्री मीराबाई मंदिर" में इस साल गणेश उत्सव कुछ अलग ही अंदाज में मनाया गया। मंदिर के सेवायत रुद्र प्रताप सिंह का कहना है कि मीरा बाई की पहचान ठाकुर जी के प्रति उनकी अनंत प्रेम और भक्ति से होती है। ठाकुर जी के प्रति प्रेम और उनकी भक्ति करते समय मीरा जी के जीवन में जो अनेक कष्ट उन्हें दिए गए, उसका सामना मीरा जी ने बुद्धि और विवेक से किया। 

PunjabKesari Meera Bai Temple

ठाकुर जी के आशीर्वाद से इस साल मंदिर प्रांगण में जो गणपति जी स्थापित किए गए हैं, उन्हें मंदिर के दर्शन करने आने वाली गोमा गाय के गोबर से बनाया गया है। जो गणेश जी बाजार से लाए जाते हैं, जब उनका विसर्जन करते हैं, तब उनकी काफी दुर्गति हो जाती है। इस के विपरीत जब गोमाता जिनमें 33 कोटि देवी-देवता विराजमान हैं, उनके गोबर से गणपति की स्थापना करते हैं तो परिवार में भी प्रेम बढ़ता है। यहां गणेश जी की स्थापना पैसे से नहीं बल्कि मीरा जैसे प्रेम और भक्ति से होती है। 

PunjabKesari Meera Bai Temple

रुद्र प्रताप सिंह के पिता जी और इस मंदिर के अनंत सेवायत प्रद्युम्न प्रताप सिंह जिनका कुछ महीने पहले ही गोलोक वास हुआ है, उनका भी यही मानना था कि आज के समाज और आने वाली नई पीढ़ी में मीरा जैसी भक्ति और शक्ति की बहुत आवश्यकता है। 

रुद्र प्रताप सिंह कहते हैं की पिता जी के आशीर्वाद से मेरी कोशिश रहेगी कि मीरा जी की अनंत प्रेम और भक्ति का संदेश पूरे विश्व में पहुंचे। भक्त जब वृंदावन आएं तो मीरा जी के स्थान का दर्शन करें। 

आज भी मंदिर में मीरा के गिरधर गोपाल व शालिग्राम के दर्शन होते हैं। रुद्र प्रताप सिंह का मानना है की इनके दर्शन मात्र से  व्यक्ति में मीरा जैसी भक्ति व शक्ति विद्यमान होती है।

PunjabKesari Meera Bai Temple

रुद्र प्रताप सिंह भक्त शिरोमणि श्री मीराबाई की 13वीं पीढ़ी से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने बताया मंदिर में आज भी मीरा बाई की चित्रकारी की हुई तस्वीर को देखा जा सकता है। मीरा बाई के समय में यहां 6 फव्वारे थे, जिनमें अद्भुत खेल देखने को मिलता था। वर्तमान समय में केवल 1 ही फव्वारा बचा है। जिसे आप देख सकते हैं।

जब मीरा बाई को मारने के लिए उनके सौतेले देवर राणा विक्रामदित्य ने फूलों में छुपाकर सांप भेजा तो वो शालीग्राम में परिवर्तित हो गया। मीरा बाई के आंसू जब उस शालीग्राम पर गिरे तो साक्षात ठाकुर जी के मुखारविन्द के दर्शन होने लगे।

PunjabKesari Meera Bai Temple

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!