Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Aug, 2024 08:51 AM
बुध ग्रह पर 9 मील मोटी यानी लगभग 15 किलोमीटर चौड़ी हीरे की परत मिली है। यह परत ग्रह की सतह के नीचे है। इसका खुलासा हाल ही में नेचर कम्यूनिकेशंस जर्नल में
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बुध ग्रह पर 9 मील मोटी यानी लगभग 15 किलोमीटर चौड़ी हीरे की परत मिली है। यह परत ग्रह की सतह के नीचे है। इसका खुलासा हाल ही में नेचर कम्यूनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट से हुआ है। इतनी मात्रा में मौजूद हीरों को धरती पर तो नहीं ला सकते लेकिन इनकी स्टडी करके बुध ग्रह के बनने और उसके मैग्नेटिक फील्ड की जानकारी हासिल की जा सकती है।
बुध ग्रह कई तरह के रहस्यों को अपने अंदर छिपाए हुए है। सबसे बड़ा रहस्य है उसका मैग्नेटिक फील्ड यानी चुबंकीय क्षेत्र। इस ग्रह का मैग्नेटिक फील्ड धरती की तुलना में बेहद कमजोर है क्योंकि यह बेहद छोटा है तथा भौगोलिक तौर पर एक्टिव नहीं है। इसकी सतह कई जगहों पर गहरे रंग की है।
हीरे की स्टडी से पता चलेगा ग्रह के बारे में
नासा के मैसेंजर मिशन ने सतह पर मौजूद गहरे रंगों को ग्रेफाइट के रूप में पहचाना था, जो कि कार्बन की एक किस्म है। बीजिंग के सैंटर फॉर हाई प्रैशर साइंस एंड टैक्नोलॉजी एडवांस रिसर्च में साइंटिस्ट यानहाओ ली ने कहा कि बुध ग्रह के रहस्यों का खुलासा इसके अंदर की परतों और बनावट की स्टडी से ही हो पाएगा।
15 कि.मी. मोटी हीरे की परत का रहस्य
यानहाओ ली ने कहा कि हमें शक है कि यह ग्रह अन्य ग्रहों की तरह ही बना है यानी गर्म मैग्मा के पिघलने के बाद।
लेकिन बुध ग्रह में यह मैग्मा का समंदर कार्बन और सिलिकेट से भरपूर रहा होगा, तभी तो इतनी भारी मात्रा में हीरे मिले हैं, वह भी पूरा सॉलिड हीरा। इतना बड़ा कि अंदर का केंद्र मजबूत धातुओं से बना होगा।
क्यों ग्रह पर इतनी मात्रा में मौजूद हैं हीरे
2019 में एक स्टडी आई थी, जिसमें कहा गया था कि बुध ग्रह का मैंटल जितना सोचा गया था उससे भी 50 किलोमीटर ज्यादा गहरा है।
यानी इसकी वजह से कोर और मैंटल के बीच काफी ज्यादा प्रैशर क्रिएट होता होगा इसलिए ग्रह के अंदर मौजूद कार्बन हीरे में बदलते जा रहे होंगे। तभी हीरों की इतनी मोटी परत मिली है।